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Hindi notes of Badhans sarang raag / राग बड़हंस सारंग का परिचय
Badhans sarang raag description / information in detail-
राग बड़हंस सारंग की विशेषता:-
- इसे काफी थाट जन्य माना गया है। गंधार और धैवत वर्ज्य होने से इसकी जाति ओडव है। वादी स्वर म और संवादी सा है। गायन समय दिन का तीसरा प्रहर है। दोनों निषादों के अतिरिक्त सभी स्वर शुद्ध प्रयोग किये जाते हैं। आरोह में शुद्ध और अवरोह में कोमल निषाद प्रयोग किया जाता है।
आरोह– सा रे म, रे म प, नि सां।
अवरोह– सां नि प म, ध प म रे, रे ऩि सा।
- यह राग बहुधा सुनने में नहीं आता इसमें मुक्त मध्यम प्रयोग किया जाता है और अवरोह में प पर कभी-कभी धैवत का कण लगाया जाता है, जिसकी वजह से वृन्दावनी सारंग से अलग हो जाता है। कुछ विद्वान इसमें कभी कभी तीव्र म, शुद्ध धैवत और गंधार प्रयोग करते थे, किन्तु अब यह प्रकार प्रचार में नहीं है।
स्वरूप– सा, रे सा नि – प नि सा, सा रे, म रे, सा। सा रे म, प म, नि म प मरे म, रे म प नि सां नि ध प, रे म प नि प, नि प म म रे म, रे सा ऩि रे सा।
Raag parichay of all raags in Indian Classical music..
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