Tabla Pakhawaj Preveshika pratham 2nd Second year – syllabus in Hindi Gandharva mahavidyalaya is described in this post of Saraswati sangeet sadhana
Preveshika pratham 2nd Second year Tabla Pakhawaj-Gandharva mahavidyalaya
अ० भा० गांधर्व मण्डल, मुम्बई , तबला पखावज का प्रारंभिक पाठ्यक्रम
कक्षा – प्रवेशिका द्वितीय वर्ष
तबला– पखावज
पूर्णाक-125, न्यूनतम-44, शास्त्र-50, न्यूनतम-18, क्रियात्मक-75, न्यूनतम-26।
शास्त्र–
- विलम्बित, मध्य और द्रुत लय का ज्ञान।
- तबला/ पखावज के विभिन्न वर्ण और उन्हें अपने वाद्य पर निकालने की विधि।
- (अ) केवल दायें हाथ से बजने वाले वर्ण।
- (ब) केवल बायें हाथ से बजने वाले वर्ण।
- (स) दोनो हाथ से एकसाथ बजने वाले वर्ण।
- निम्नलिखित बोलो की निकास विधि – तिरकिट, तकडां, कड़धा, किटतक, धिड़नग, धिरधिर, त्रक, क्ड़धान, गदीगन।
- पं० भातखंडे तथा पं० पलुस्कर ताललिपि पद्धतियों की संपूर्ण जानकारी।
- निम्नलिखित तालों को दोनों ताललिपि पद्धतियों में लिपिबद्ध करने का अभ्यास। तबला: त्रिताल, दादरा, कहरवा, झपताल, रूपक। पखावज: चौताल, सूलताल, तीव्रा, धमार तथा आदिताल।
- त्रिताल/ चौताल तथा झपताल/ सूलताल के टुकड़ों को पं० भातखंडे ताललिपि पद्धति में लिपिबद्ध करने का अभ्यास।
- निम्नलिखित शब्दों की परिभाषा :- कायदा, रेला, पलटा, तिहाई, मुखडा, लग्गी, उठान, चक्रदार, मोहरा।
क्रियात्मक:-
- निम्नलिखित तालों के ठेकों को हाथ से ताल देकर दुगुन लय में बोलने तथा बजाने का अभ्यास: तबला: धुमाली,दीपचन्दी,चौताल, तेवरा। पखावज: धमार, तीव्रा, त्रिताल।
- इस वर्ष के शास्त्र पक्ष में उल्लेखित सभी बोलो को भलिभांति निकालने की क्षमता।
- निम्नलिखित तालों में विस्तार –
तबले के विद्यार्थी हेतु–
- त्रिताल- त्रक तथा धातीधागे का एक-एक कायदा, चार पलटे, तिहाई, एक रेला, चार किस्म एक चक्रदार, दो टुकड़े।
- झपताल-एक कायदा, दो तिहाई।
- एकताल- दो तिहाई, दो टुकड़े।
- दादरा तथा कहरवा में दो सरल लग्गियाँ।
- रूपक- दो किस्म, दो तिहाई, दो टुकड़े।
पखावज के विद्यार्थियों हेतु –
- चौताल- दो रेले, एक पडार, दो साधारण परने, दो चक्रदार परने तथा दो टुकड़े।
- सूलताल- एक रेला, दो परने।
- धमार- दो परने, दो तिहाईयां, दो टुकड़े।
- तीव्रा- ठेके के दो प्रकार, दो परने,दो तिहाईयां।
- तबला– छोटा ख्याल अथवा रज़ाखानी गत के साथ त्रिताल में संगत करने की क्षमता।
पखावज– ध्रुपद के साथ संगत करने की क्षमता।
- क्रियात्मक में लिखित सभी रचना प्रकारों हाथ से ताल देकर पढन्त।
अंक तालिका–
- तालों के ठेके तथा उनको दुगुन में बजाना :10 अंक,
- निकास: 10 अंक,
- त्रिताल में वादन:05 अंक,
- झपताल, एकताल, रूपक में वादन: 15 अंक,
- दादरा तथा कहरवा में लग्गियाँ:05 अंक,
- साथ संगत (क्रियात्मक पाठ्यक्रम के अनुसार):05 अंक,
- हाथ से ताल देते हुए पढन्त:10 अंक,
- सामान्य प्रभाव:05 अंक।
कुल मौखिक=75 अंक।
सूचना:-
- हर एक विद्यार्थी को 20 मिनट का समय निर्धारित किया गया है।
- विद्यार्थी को सभी वादन लहरा के साथ करना होगा।
- पखावज के लिये पाठ्यक्रमानुसार पखावज के ताल पूछे जायेंगे।
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