Vocal Praveen 8th Year Syllabus In Hindi Prayag Sangeet Samiti

4.6/5 - (5 votes)

Vocal Praveen 8th Year Syllabus In Hindi

 गायन

अष्टम वर्ष ( संगीत प्रवीण)

  • क्रियात्मक परीक्षा 200 अंको की होगी। जिसमें 100 अंक प्रश्न मूलक प्रयोगात्मक परीक्षा के लिये, 100 अंक मंच प्रदर्शन के लिए होंगे। शास्त्र के दो प्रश्न-पत्र 50-50 अंक के होंगे। परिक्षार्थी को उत्तीर्ण होने के लिए तीनों परीक्षा में अलग अलग 36 प्रतिशत अंक प्राप्त करने होंगे।
  • प्रथम से सप्तम वर्षों तक का पाठ्यक्रम भी इस परीक्षा में सम्मिलित है।

क्रियात्मक

  • निम्नांकित 15 रागों का विस्तृत अध्ययन- देवगिरि बिलावल, यमनी-बिलावल,श्याम कल्याण, गोरख कल्याण, मेघ मल्हार, जैताश्री, भटियार, मियाँ की सारंग, सूहा, नायकी- कान्हडा, हेमंत, कौसी कान्हडा, जोगकौस, बिलासखानी तोड़ी, झिझोटी।
  • क) गायन के सभी परिक्षार्थियों के लिये उपर्युक्त सभी रागों में विलम्बित तथा द्रुत ख्यालों को विस्तृत रूप से गाने की पूर्ण तैयारी। इनमें से कुछ रागों में ध्रुपद, धमार, तराना,चतुरंग आदि कुशलतापूर्वक गाने का अभ्यास। परिक्षार्थी की पसंद के अनुसार किसी भी राग में ठुमरी, भजन अथवा भावगीत  सुंदर ढंग  से गाने की  तैयारी।
  • ख). तन्त्र वाद्य तथा सुषिर वाद्य के परीक्षार्थियों के लिये उपर्युक्त सभी रागों में सुन्दर आलाप- जोड, विलम्बित ( मसीतखानी) तथा द्रुत ( रज़ाखानी) ख्यालों अथवा गतों को विस्तृत रूप से बजाने की पूर्ण तैयारी। तीन ताल के अतिरिक्त कुछ अन्य कठिन तालों में भी इनमें से कुछ रागों में बंदिशें बजाने का पूर्ण अभ्यास। किसी भी राग में धुन अथवा ठुमरी अंग का बाज सुन्दरतापूर्वक बजाने का अभ्यास।
  • निम्नलिखित 15 रागों का पूर्ण परिचय- आलाप द्वारा इनके स्वरूप का स्पष्ट रूप से प्रदर्शन तथा इनमें कोई भी एक एक बंदिश गाने अथवा बजाने का अभ्यास। इन बंदिशों को विस्तार से गाने अथवा बजाने की आवश्यकता नहीं है- बिहागडा, नट बिहाग, जैतकल्याण, रामदासी मल्हार, शुक्लबिलावल, भंखार, शिवमत – भैरव, सुघराई, गौरी (भैरव थाट), ललिता गौरी,बरवा, खम्बावती, पटमंजरी ( काफी थाट) काफी कान्हडा।
  • प्रथम से सप्तम वर्षों के तथा इस वर्ष के सभी रागों को गाये या बजाये जाने पर पहचानने में निपुणता।
  • प्रचलित तालों को ताली देकर विभिन्न लयकारियों में बोलने का अभ्यास तथा उनके ठेकों को तबले पर बजाने का अभ्यास।
  • निम्न तालों का पूर्ण परिचय तथा इन्हें ताली देकर लयकारियों में बोलने का अभ्यास- अष्टमंगल ताल, अर्जुन ताल, शिखर ताल तथा कुम्भ ताल।

 मंच प्रदर्शन

  • मंच प्रदर्शन में गायन तथा वादन के परिक्षार्थियों को सर्वप्रथम उपर्युक्त विस्तृत अध्ययन के 15 रागों में से अपनी पसंद के अनुसार किसी भी एक राग में विलम्बित और द्रुत ख्याल अथवा गत लगभग 30 मिनट तक अथवा परीक्षक द्वारा निर्धारित समय में पूर्ण गायकी के साथ गाना होगा। ततपश्चात थोड़ी देर किसी राग की ठुमरी, भावगीत सुनाना होगा अथवा ठुमरी अंग की कोई चीज अथवा धुन बजानी होगी।
  • मंच प्रदर्शन के समय परीक्षा-कक्ष में श्रोतागण भी कार्यक्रम सुनने हेतु उपस्थित रह सकते है।
  • परीक्षक को अधिकार होगा कि यदि वह चाहे तो निर्धारित समय से पूर्व भी परिक्षार्थी का प्रदर्शन समाप्त करा सकता है।

 शास्त्र

प्रथम प्रश्न पत्र

गायन तन्त्र तथा सुषिर वाद्य के परिक्षार्थियों के लिए –

  • प्रथम से सप्तम वर्षों के पाठ्यक्रमों ( गायन और तन्त्र वाद्य) में दिये गये संगीत शास्त्र संबंधी सभी विषयों और पारिभाषिक शब्दों का विस्तृत और आलोचनात्मक अध्ययन।
  • मध्यकालीन और आधुनिक कालीन भारतीय संगीत का इतिहास और विकास का विस्तृत अध्ययन।
  • हिन्दुस्तानी संगीत के विकास में अमीर खुसरो, अहोबल, स्वामी हरिदास, तानसेन, राजा मानसिंह तोमर, सुल्तान हुसैन शाह शर्की, न्यामत खाँ( सदारंग), खुसरों खाँ, नवाब वाजिद अली शाह, हस्सु- हददु खाँ, ठाकुर नवाब अली, पं० विष्णु नारायण भातखंडे, पं० विष्णु दिगम्बर पलुस्कर, ओंकार नाथ ठाकुर, कैलाशचंद्र देव वृहस्पति आदि का योगदान।
  • चौदहवीं से अठारहवीं शताब्दी तक निम्नलिखित संगीत ग्रन्थों का विस्तृत अध्ययन- लोचनकृत राग तरंगिणी, रामामात्य कृत स्वर मेल कलानिधि, ह्रदयनारायण देव कृत ह्रदय कौतुक तथा ह्रदय प्रकाश, सोमनाथ कृत राग विवोध, अहोबल कृत संगीत पारिजात, श्रीनिवास कृत राग तत्वविबोध, व्यंकटमूखी कृत चतुर्दन्डिप्रकाशिका।
  • उन्नीसवीं तथा बीसवीं शताब्दियों में भारतीय संगीत का विकास तथा इस काल के संगीत ग्रन्थों का विशेष अध्ययन।
  • उत्तर व दक्षिण भारतीय संगीत पद्धतियों का पार्थक्य तथा इस पार्थक्य का कारण,आरम्भ और विकास।
  • भारतीय संगीत पर विदेशी संगीत के प्रभाव के विषय में आलोचनात्मक अध्ययन।
  • भारतीय संगीत की आध्यात्मिक विशेषताओं का विस्तृत अध्ययन।
  • संगीत में रस तत्व का सैद्धांतिक विवेचन। सौंदर्य शास्त्र का ज्ञान।
  • संगीत की कलात्मक और वैज्ञानिक दृष्टियों में अन्तर। ललित कलाओं में संगीत का स्थान।
  • स्वतंत्र भारत में संगीत तथा इसके प्रसार और प्रचार के संबंध में शासन तथा अन्य संस्थाओं द्वारा प्रयास।
  • भारतीय संगीत में प्रचलित विभिन्न तंत्र तथा सुषिर वाद्यो की उत्पत्ति और विकास के संबंध में विस्तृत अध्ययन।
  • राग- रागिनी वर्गीकरण के संबंध में नाट्यशास्त्र, वृहद्देशी, संगीत मकरंद, संगीत रत्नाकर, संगीत दर्पण, हनुमत मत, शिव मत, सोमेश्वर मत, कल्लिनाथ मत, भरत मत, रागांग पद्धति, थाट- राग पद्धति का विस्तृत अध्ययन।
  • संगीत शास्त्र संबंधी विषयों पर लेख लिखनी की क्षमता।
द्वितीय प्रश्न-पत्र

(गायन और वादन परिक्षार्थियों के लिये प्रश्न-पत्र अलग अलग होंगे)।

  • प्रथम से सप्तम वर्षों तक के पाठ्यक्रमों के सभी क्रियात्मक संगीत संबंधी शास्त्र का विस्तृत और आलोचनात्मक अध्ययन।
  • प्रबंध शास्त्र के तत्व और नियम। आधुनिक प्रबंध जैसे-ध्रुपद, धमार, ख्याल, ठुमरी, टप्पा, दादरा, तराना, त्रिवट, चतुरंग आदि की रचना करने का ज्ञान।
  • विभिन्न प्रकार की गतों जैसे- मसीतखानी, रज़ाखानी, अमीरखानी, फिरोजखानी की नई बंदिशों की रचना करने का ज्ञान।
  • भारतीय संगीत की वर्तमान स्थिति और इसका भविष्य।
  • विभिन्न तन्त्रवाद्यो की उत्पत्ति और भारत में उनका विकास तथा उनके वादन शैलियों की विशेषताओं का विस्तृत अध्ययन।
  • ध्रुपद गायन का पतन तथा ख्याल गायन की लोकप्रियता के कारणों पर तर्कपूर्ण विचार।
  • वर्तमान समय में भारतीय संगीत के प्रचार और प्रसार हेतु विभिन्न प्रकार के साधन और माध्यम तथा उनकी अच्छाइयां और बुराइयां।
  • वर्तमान समय में विभिन्न प्रकार की दी जाने वाली संगीत शिक्षा के संबंध मेंआलोचनात्मक और तर्क पूर्ण विचार।
  • पाठ्यक्रम के रागों में तीनताल के अतिरिक्त अन्य तालों में स्वयं सरगम और बंदिश की रचना करने की क्षमता।
  • इस वर्ष के सभी रागों का विस्तृत अध्ययन तथा उनसे मिलते जुलते रागों से तुलना, इन रागों में अल्पत्व- बहुत्व तथा तिरोभाव-आविर्भाव सोदाहरण दिखाने का पूर्ण ज्ञान।
  • पाश्चात्य लिपि (Staff Notation) पद्धति का पूर्ण ज्ञान तथा भारतीय संगीत में प्रचलित लिपि पद्धतियों से इसकी तुलना। पाश्चात्य लिपि पद्धति में गीत अथवा गत लिखने का ज्ञान।
  • क्रियात्मक संगीत शास्त्र, संबंधी विषयों पर लेख लिखने की पूर्ण क्षमता।

 Prayag sangeet samiti syllabus ( 8th Eighth -Sangeet Praveen year vocal) is described  in this post  ..

Saraswati sangeet sadhana provides complete Indian classical music theory in easy method ..

Click here For english information of this post ..

Some posts you may like this…

1 thought on “Vocal Praveen 8th Year Syllabus In Hindi Prayag Sangeet Samiti”

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!
Scroll to Top