Kathak Senior Diploma 6th Year Syllabus In Hindi Prayag Sangeet Samiti

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Kathak Senior Diploma 6th Year Syllabus In Hindi

कत्थक

(क्रियात्मक परीक्षा 200 अंको की तथा शास्त्र के दो प्रश्न-पत्र 50-50 अंको के। पिछले वर्ष के सभी पाठ्यक्रम भी सम्मिलित है।)

क्रियात्मक

  1.  अब तक के सभी तालों में नृत्य प्रदर्शन की विशेष क्षमता। अंगचारी मंडल तथा हस्त मुद्राओं में विशेष सौष्ठव।
  2. अर्जुनताल, गणेशताल, सरस्वतीताल, रूद्रताल तथा सवारी ताल (दोनों प्रकार15 तथा 16 मात्राओं की) में से किन्हीं तीनतालों में नृत्य करने की क्षमता।
  3. नेत्र, भू , कण्ठ, कटि , चरण तथा हस्त आदि अंगों के समुचित संचालन की क्षमता।
  4. दिये गये कथानकों मे कथक शैली में नृत्य करने की क्षमता। जयपुर तथा लखनऊ घराने के नृत्य का प्रदर्शन करके अन्तर बताना।
  5. कुछ तबला तथा पखावज के बोल, तोड़ा, टुकड़ा, परन आदि बजाने का अभ्यास।
  6. पीलू, झिंझोटी , गारा, बसन्त तथा बहार रागों में एक- एक स्वरमलिका अथवा छोटा ख्याल गाने का अभ्यास। होरी, चैती, कजरी, गजल, तराना, भजन इन गायन शैलियों में से किन्हीं दो में गाकर भाव दिखाने का अभ्यास।
  7. मारीच-वध, मदन- रहन, द्रौपदी चीरहरण, भिलनी- भक्ति, पनघट की छेड़छाड़, लक्षमण शक्ति, त्रिपुरासुर वध, वामन- अवतार, अहिल्या उद्धार, सती अनुसुइया, कलिया- दमन, इन कथानकों में से किन्हीं 5 में गत भाव दिखाने का अभ्यास।

शास्त्र

प्रथम प्रश्न-पत्र
  1. कथक नृत्य का विस्तृत इतिहास, विभिन्न कालों में इसकी रूपरेखा तथा इसका अंगीकरण, प्रत्येक काल के नृत्याचार्यो तथा उनकी नृत्य कला का पूर्ण परिचय।
  2. रंगमंच की रचना का उद्देश्य तथा इतिहास, रंगमंच पर प्रकाश व्यवस्था तथा इसकी आवश्यकता।
  3. नृत्य में वेशभूषा की आवश्यकता, वेशभूषा और रूप सज्जा में परस्पर संबंध और इस संबंध में आलोचनात्मक विचार।
  4. लोकनृत्य की विशेताए एवं इसकें विभिन्न रूप, कथक एवं लोकनृत्य में परस्पर साम्य एवं भेंद, लोकनृत्य की आवश्यकता एवं इसके आवश्यक अवयव।
  5. भरतनाट्यम, मणिपुरी, ओडिसी, कुच्चिपुडी एवं कथकली नृत्य का परिचय तथा कथक नृत्य और इन सभी नृत्य में परस्पर साम्य और भेद।
  6. कुतप अथवा वृन्दावन की व्याख्या तथा इसकी रचना के सिद्धांत, कथक नृत्य में कुतप की आवश्यकता तथा इसका महत्व।
  7. नृत्य और अभिनय में परस्पर साम्य और भेंद तथा इन दोनों की पृथक- पृथक विशेषताएं तथा महत्व।
  8. पाश्चात्य नृत्य का पूर्ण परिचय, इसमें प्रयोग किये जाने वाले विभिन्न करणों और रेंचको का अवलोकन, पाश्चात्य नृत्य और कथक नृत्य में परस्पर साम्य और भेंद, बैले नृत्य की रचना के नियम, कथक शैली के बेले की श्रेष्ठता पर अपने विचार।
  9. आधुनिक नृत्य का पूर्ण परिचय,इसकी वेशभूषा और कुतप, आधुनिक नृत्य का समाज में स्थान, आधुनिक नृत्य की विशेषताएं और और वर्तमान काल में इनकी आवश्यकताएं।
  10. नृत्य संबंधित विषयों पर निबंध जैसे (अ) नृत्य और जीवन (ब) नृत्य और साहित्य (स) नृत्य और राष्ट्र (द) शिक्षा में नृत्य का स्थान, (च) नृत्य और व्यायाम तथा कथक नृत्य का भविष्य।
द्वितीय प्रश्न -पत्र
  1. कथक नृत्य घरानों का विस्तृत अध्ययन,प्रत्येक घराने के दिवंगत और वर्तमान नृत्याचार्यों का परिचय, उनकी शैलियाँ और उनकी विशेताए।
  2. निम्नलिखित शब्दों की सोदाहरण व्याख्या –      अग्रताल, आलीढ़, उठान, आँचित, कुंचित, कुंचित-भ्रमरी, पाद- विन्यास, सम्पुट, मीलित, दृष्टि, प्रकम्पित ग्रीवा, परवाहित शिर, एकापाद, भ्रमरी नृत्य के सप्त  पदार्थ, व्यूह क्रिया, अष्टगति, विलोम, अनुलोम, क्रिया तथा हेला।
  3. नायक और नायिका के भेदों का विस्तृत अध्ययन।
  4. शिर, नेत्र, भृकुटि, होंठ आदि शारिरिक अंगों के संचालन के सिद्धांत, इन संचालनों से उत्पन्न होने वाले भाव, कथक नृत्य में इनकी उपयोगितायें।
  5. लिपि की परिभाषा- प्रथम वर्ष से लेकर षष्ठम वर्ष तक के पाठ्यक्रम में निर्धारित समस्त तालों के ठेके और बोलो को विभिन्न लयकारियों में लिपिबद्ध करके लिखना, नृत्य के लिए एक स्वतंत्र और उपयुक्त लिपि के निर्माण पर विचार और सुझाव।
  6. कथक नृत्य के प्रत्येक घरानों के बोलों का विस्तृत ज्ञान, उनमें परस्पर साम्य और भेंद, प्रत्येक घरानों के बोलों को पृथक- पृथक लिपिबद्ध करके लिखना, प्रत्येक घरानों के बोलों की पृथक-पृथक विशेषताएं। विभिन्न प्रकार की लयकारियों का ज्ञान।
  7. प्रथम वर्ष से लेकर षष्ठम वर्ष तक के पाठ्यक्रम में निर्धारित समस्त तालों में लहरा लिपिबद्ध करके लिखना।
  8. कर्नाटक ताल पद्धति का पूर्ण परिचय, हिन्दुस्तानी ताल पद्धति और कर्नाटक ताल पद्धति की परस्पर तुलना, उत्तरी तालों को कर्नाटकी ताल लिपि में बद्ध करके लिखना।
  9. गत और परन के विभिन्न प्रकारों का विस्तृत अध्ययन। इन.सभी प्रकारों में परस्पर साम्य और भेंद, इन सभी प्रकारों को कम से कम एक-एक उदाहरण और उन सभी को लिपिबद्ध करके लिखना।
  10. नृत्य संबंधी निबंध जैसे (अ) लोकनृत्य (ब) नृत्य का ताल और लय से संबंध, (स) नृत्य का आध्यात्मिक महत्व,(द) नृत्य द्वारा चरित्र का उत्थान(च) नृत्य में गणित का स्थान।
  11. तबला, पखावज और नृत्य के बोल, परन, तोड़ा आदि का भेंद और ज्ञान। साधारण चक्करदार, कमाली चक्करदार, फरमाइशी चक्करदार, नृत्यांगी, तालांगी, कवितांगी, संगीतांगी, और मिश्रांगी तोड़ो का ज्ञान और भेंद।
  12. पीलू, झिंझोटी , गारा, बसन्त, बहार रागों का पूर्ण परिचय।
  13. होरी, चैती, कजरी, गजल, तराना, ठुमरी, भजन आदि गायन शैलियों का पूर्ण परिचय तथा तुल्नात्मक अध्ययन।

(क्रियात्मक परीक्षा 200 अंको की तथा शास्त्र के दो प्रश्न-पत्र 50-50 अंको के। पिछले वर्ष के सभी पाठ्यक्रम भी सम्मिलित है।)

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