Pandit Anokhe Lal Biography In Hindi
जन्म विवरण –
जन्म तिथि – 1914
अध्यापक – भैरव प्रसाद मिश्र
पं० अनोखे लाल मिश्र की जीवनी हिंदी में
- स्व० पं० अनोखे लाल मिश्र काशी नगरी के एक अनोखे तबला-वादक थे।
- आप तबला – सोलो तथा संगति दोनों में समान रूप से निपुण थे।
- आपको किसी भी गायक, वादक या नृत्यकार के साथ बैठा देते सभी के साथ समयानुकूल निभाते थे।
- जब विलंबित लय का ठेका देते, तो ऐसा मालूम पड़ता कि उनको बस यही आता है और कुछ नही, किन्तु जब किसी नर्तक या तंत्रकार के साथ संगति करते तो उनके हाथ की चपलता देखकर दाँतों तले अंगुली दबानी पड़ती।
- ‘नाधिं धिं ना’ के तो वे बादशाह माने जाते थे, जो अन्य किसी के लिये सम्भव नही था। पं० अनोखे लाल शरीर से दुबले-पतले, स्वभाव के विनम्र और अल्पभाषी थे। वे आत्म-प्रदर्शन से दूर रहते थे ।
- वे स्वयं कहा करते थे कि अभी मुझे बहुत कुछ सीखना है। वे छोटे से छोटे कलाकार की भी प्रशंसा किया करते और अपने को सबसे छोटा समझते ।
प्रारंभिक जीवन –
- पं० अनोखे लाल का जन्म सन् १९१४ में काशी में हुआ था। दुर्भाग्यवश बाल्यावस्था मे ही माता और पिता दोनों का निधन होने से आपकी दादी ने किसी प्रकार आपका पालन-पोषण किया।
- सभी मुसीबतों को झेलते हुये संगीत-शिक्षा पं० भैरो प्रसाद के शिष्यत्व में ६ वर्ष की अवस्था से ही शुरू हुई।
- धीरे-धीरे वे एक कुशल कलाकार हो गये। आपकी नियमित साधना आपके अन्तिम दिनों तक चलती रही।
आजीविका –
- पंडित अनोखेलाल एकल कलाकार के साथ-साथ संगतकार भी थे।
- अनोखेलाल ने अपने करियर के दौरान कई एकल संगीत कार्यक्रम किए और कई प्रसिद्ध संगीतकारों और शास्त्रीय नर्तकियों को ‘संगत’ (साथ) भी दिया।
- उनमें से कुछ हैं उस्ताद अलाउद्दीन खान, उस्ताद विलायत खान, उस्ताद अली अकबर खान आदि।
- अनोखेलाल ने भैरव प्रसाद मिश्रा के तहत तबला सीखा .
- भैरव प्रसाद मिश्र ने उनकी प्रतिभा का पता लगाया और उन्हें 5 या 6 साल की उम्र में राम सहायजी के बनारस घराने में तबले के एक छात्र के रूप में नामांकित किया।
- अनोखेलाल ने भैरव प्रसाद मिश्र से करीब 15 साल तक तबला सीखा।
- भैरव प्रसाद मिश्र भगत जी के शिष्य थे। भगत-जी बनारस-बाज (उर्फ बनारस घराना) के संस्थापक राम सहाय के शिष्य थे।
- डेविड रोच द्वारा द बनारस बाज-द तबला ट्रेडिशन ऑफ ए नॉर्थ इंडियन सिटी के अनुसार
- मौलवी राम मिश्रा
- महावीर भट्ट
- महादेव प्रसाद मिश्रा
- अनोखेलाल मिश्रा और नागेश्वर प्रसाद के बीच अनोखेलाल भैरव प्रसाद मिश्र के सबसे प्रसिद्ध शिष्य थे।
- विशेष क्षमता
- उन्हें ‘ना धिन धिन ना’ (तीन ताल का ठेका- 16 बीट्स) और ‘धेरे धीरे पतंग टका’ (विशेष तबला शब्दांश) का जादुगर (जादूगर) कहा जाता था।
- वह इन और कई अन्य अक्षरों को अत्यधिक गति से भी स्पष्टता के साथ बजाते थे।
- वह अपनी पहली उंगली से ‘ना धिन धिन ना’ तेजी से बजाने में कुशल थे।
प्रकृति और व्यक्तित्व –
वह एक सेलिब्रिटी की तरह दिखावा करने और व्यवहार करने के बजाय एक शांत और सामान्य जीवन प्रोफ़ाइल बनाए रखते थे। उन्होंने कभी भी खुद को सार्वजनिक नहीं किया कि वह क्या हैं।
अन्य सूचना –
- मौत की तिथि – 10 मार्च 1958
Question Related to Pandit Anokhe Lal
पंडित अनोखेलाल मिश्रा का जन्म कब हुआ था ?
पंडित अनोखेलाल मिश्रा का जन्म 1914 में हुआ था .
पंडित अनोखेलाल मिश्रा के शिक्षक कौन थे?
पंडित अनोखेलाल मिश्रा के शिक्षक भैरव प्रसाद मिश्र थे .
ना धिन धिन ना’ और पतंग टका का जादुगर किसे कहा जाता था ?
‘ना धिन धिन ना’ और पतंग टका का जादुगर पंडित अनोखेलाल मिश्रा को कहा जाता था .
पंडित अनोखेलाल मिश्रा की मृत्यु किस बीमारी के कारण और कब हुई थी ?
पंडित अनोखेलाल मिश्रा की मृत्यु 10 मार्च 1958 में बाएं पैर के गैंग्रीन से पीड़ित होने के कारण हो गयी थी ?