Odissi Vocal Visharad Final Syllabus In Hindi
उड़ीसी गायन
परीक्षा के अंक
पूर्णाक : ३००
शास्त्र – १००
प्रथम प्रश्न-पत्र – ५०
द्वितीय प्रश्न पत्र – ५०
क्रियात्मक – १२५
मंच प्रदर्शन- ७५
शास्त्र
प्रथम प्रश्न पत्र
(1).पूर्व निर्धारित सभी पारिभाषिक शब्दावली का विस्तृत ज्ञान ।
(2).उड़ीसी संगीत का इतिहास, भारतीय संगीत में उड़ीसी संगीत का स्थान, मूर्छना, आधुनिक थाट, कलावंत, वाग्गेयकार, पंडित, नायक, गमक तथा इसके प्रकार, वाणी तथा भारतीय संगीत वाद्य वर्गीकरण तत वाद्य, वितत वाद्य, अवनद्ध वाद्य, सुषिर वाद्य के विभिन्न प्रकार ।
(3).उड़ीसी, उत्तरी ताल पद्वति तथा कर्नाटक ताल पद्धतियों में तुलना ।
(4)उड़ीसी, उत्तरी तथा कर्नाटक संगीत पद्धतियों में तुलना ।
(5).विभिन्न कालों में श्रुति स्वर विभाजन का ज्ञान ।
(6).उड़ीसी रागों का वर्गीकरण ।
(7).विभिन्न वाद्यों का वर्गीकरण ।
(8).रचनायें- ।
- उड़ीसी संगीत की विशेषताएं तथा उड़ीसी संगीत के विशेष अंग ।
- जीवन में संगीत की आवश्यकता ।
- जनता पर शास्त्रीय संगीत का प्रभाव ।
- रेडियो तथा फिल्म संगीत ।
- संगीत तथा उसकी स्वरलिपी।
(9). मुर्च्छना का ज्ञान तथा मुर्च्छना से उड़ीसी मेल की उत्पति ।
(10). गायक के गुण तथा अवगुण ।
(11). हारमनी, मैलाडी, मेजर टोन, सैमी टोन तथा माइनर टोन का ज्ञान |
(12). पाश्चात्य संगीत पद्धति का ज्ञान ।
(13). प्राचीन राग रागिनी वर्गीकरण का ज्ञान ।
(14). प्राचीन एव अर्वाचीन आलाप गायन का ज्ञान एवं इसका आधुनिक
(15)._आलाप गायक के साथ तुलनात्मक अध्यन ।
द्वितीय प्रश्न पत्र
(1). सभी पूर्ववर्ती पाठयक्रमों तथा पंचम वर्ष के रागों का तुलनात्मक अध्ययन ।
(2). रागों में अल्पत्व तथा बहुत्व दर्शाने की योग्यता, सम में तिरोभाव तथा आविर्भाव ।
(3).किसी भी गीत को स्वरलीपि करने का अभ्यास ।
(4).निर्धारित तालों में विभिन्न लयकारियां लिखने का ज्ञान ।
(5). निम्नलिखित का ज्ञान-
- हारमोनियम का विश्लेषण ।
- प्राचीन, मध्यकालीन तथा आधुनिक रागों का वर्गीकरण ।
- संगीत कला तथा संगीत शास्त्र में संबंध ।
- पाश्चात्य संगीत का अल्प ज्ञान ।
- स्टाफ स्वर लिपि ।
(6). उड़ीसी संगीत घरानों तथा परम्परा का ज्ञान ।
(7).संगीत की स्वरलिपि पद्धति की उत्पति का इतिहास ।
(8).धुपद गीत की कठिन लयकारियों का लेखन ।
(9).कलावंत, नायक, वाग्येकार का ज्ञान ।
(10).विभिन्न संगीत वाद्य यन्त्रों का ज्ञान (तत्, घन, सुषिर अवनद्ध के अन्तर्गत आदि)
क्रियात्मक
(1). उड़ीसी गीत गाने में प्रयुक्त तानपुरा, मरदल तथा अन्य वाद्यों को स्वर में मिलाने का ज्ञान ।
(2).किसी दूसरे द्वारा आकार में गाए गीतों तथा रचनाओं के स्वर पहचाननें का क्षमता |
(3). स्वरों को कठिन मिश्रण के साथ गाने का अभ्यास ।
(4). सभी निर्धारित रागों में गायकी का प्रभावशाली प्रस्तुतीकरण ।
(5). सभी निर्धारित रागों का विस्तृत ज्ञान, समप्रकृतिक रागों का तुलनात्मक
प्रर्दशन |
(6). पूर्ववर्ती तथा वर्तमान पाठयक्रम के तालों में कठिन लयकारियां प्रदर्शित करने का अभ्यास ।
(7). गीत गोविन्द, चौपाइयां, छन्द तथा भजनों में से दो-दो गीत ।
(8). निर्धारित राग-
- पूर्व कल्याण
- बसन्त
- भोपाल
- दार गौरा
- हंस नारायणी
- पूरिया
- अहिरी
- विभास
- नट नारायणी
- श्याम कल्याण
- मालव कौशिक
(9).विलम्बित तथा मध्य लय में पाठयक्रम के दो रागों में एक कल्पना संगीत |
(10).निर्धारित रागों में एकगुन (ठाह), दुगुन, तिगुन तथा चौगुन लयकारियों सहित दो धुपद ।
(11). अल्पत्व, बहुत्व, अर्विभाव, तिरोभाव आदि की समप्रकृतिक रागों में क्रियात्मक प्रदर्शन की योग्यता ।
(12).निर्धारित ताल रूपक ताल (७ मात्रा) यति (१४ मात्रा) एगुन, दुगुन तिगुन तथा चौगुन लयकारियों में ।
(13). निर्धारित रागों में लक्षण गीत अथवा स्वर मालिका ।
(14). पाठयक्रम के रागों में प्रत्येक में एक उड़ीसी गीत ।
(15). मंच प्रदर्शन प्रत्येक परिक्षार्थी को कम से कम 35 मिनट का प्रभावशाली मंच प्रदर्शन देना अनिवार्य है।
टिप्पणी: पूर्व वर्षो का पाठयक्रम संयुक्त रहेगा।