Odissi Vocal Sangeet Visharad Part 1 Syllabus In Hindi
उड़ीसी गायन
परीक्षा के अंक
पूर्णांक : १५०
शास्त्र – ५०
क्रियात्मक – १००
शास्त्र
(1).उड़ीसी कल्पना संगीत, ध्रुपद संगीत, चम्पु, छन्द, भजन, कीर्तन तथा लोक-गीत आदि के विभिन्न प्रकारों की गायन शैली का ज्ञान।
(2).प्राचीन तथा आधुनिक आलाप पद्धतियों का ज्ञान ।
(3).जाति, गायन, राग लक्षण, अल्पत्व, बहुत्व, न्यास, विन्यास, सन्यास, विदारी, गायकी, नायकी, ध्रुपद का ज्ञान ।
(4).निर्धारित रागों का तुलनात्मक अध्ययन ।
(5).विभिन्न कालों में श्रुति स्वर विभाजन का स्थान ।
(6).वीणा के तार पर शुद्ध तथा विकृत स्वरों का स्थान ।
(7).विभिन्न लयकारियों में गीतों की रचना तथा लेखन का ज्ञान ।
(8).षड़ज-मध्यम तथा षडज पंचम भाव, एकात्मकता कम्पन्न तथा आन्दोलन संख्या प्राप्ति का ज्ञान ।
(9).पंडित व्यंकट मुखी द्वारा प्रतिपादित शुद्ध तथा विकृत स्वर थाट से ४८४ रागों को प्रस्तुत करने की पद्धति ।
(10).गीत गोविन्द तथा कवि जयदेव के बारे में ज्ञान ।
(11).उड़ीसी मेल, कर्नाटकी मेल तथा हिन्दुस्तानी मेल पद्धतियों की रचना । राग रागिनी वर्गीकरण का ज्ञान ।
(12)निबन्ध-
- भारतीय संगीत में संगीत घरानों का प्रभाव ।
- संगीत तथा कल्पना संगीत ।
- आधुनिक संगीत तथा उसका भविष्य
- संगीत नें वाद्यों का स्थान ।
- संगीत में स्वर साधना का महत्व।
- लोक संगीत तथा क्षेत्रीय संगीत ।
- मन का संगीत
- उड़ीसी संगीत के सिद्धांत
क्रियात्मक
(1).गायन में कठिन स्वरलिपि का ज्ञान, शुद्ध तथा के साथ गायन ।
(2). दूसरे द्वारा गाए स्वर गीतों के स्वर पहचान करने की योग्यता ।
(3). निर्धारित सम प्राकृतिक रागों में तिरोभाव तथा आविर्भाव के प्रदर्श की योग्यता ।
(4). बिना तैयारी के गायन कला का प्रर्दशन तथा कण्ठस्थ गीतों को उन शब्दों के भाव तथा राग शुद्धी के अनुसार शुद्ध तरीके से प्रस्तुत करना |
(5). तानपुरा तथा मरदल को स्वर करने की योग्यता ।
(6). पूर्ववर्ती रागो के अतिरिक्त निर्धारित राग-
(7). मध्य लय में कल्पना संगीत गायन का ज्ञान ।
(8). उपरोक्त रागों में आलाप तथा तान के साथ थाट – आरोही, अवरोही, जाति, मुख्यांग (पकड़) वर्जित स्वर तथा काल (गायन का समय)का ज्ञान ।
(9). उपरोक्त रागों में से किसी एक राग में एक धुपद एकगुन (ठाह), दुगुन तथा चौगुन लयकारियों में गाने की क्षमता ।
(10). पूर्ववर्ती पाठ्यक्रम के अतिरिक्त निर्धारित ताल-
अठताली, श्रीमान, मठताल, ठाह, दुगुन, तिगुन तथा चौगुन लयकारियों में ।
(11).-
- गीत गोविन्द, चम्पू तथा छन्द, प्रत्येक को गाने का अभ्यास ।
- प्रमुख उड़िया कवियों जैसे- सालवेग, बनमाली तथा गोपाल कृष्ण के गीतों तथा एक-एक भजन का ज्ञान ।
- उड़ीसा के स्व. कवियों उपेन्द्र भज तथा दीन कृष्ण आदि की रचनाओं के दो छन्द तथा दो चौपाइयां ।
(12). विशेष स्वरों में से रागों को पहचान की योग्यता ।
(13). पढ़न्त का अभ्यास ।
टिप्पणी-पूर्व वर्षो का पाठ्यक्रम संयुक्त रहेगा ।