Odissi Vocal Sangeet Bhaskar Final Syllabus In Hindi
उड़ीसी गायन
परीक्षा के अंक
पूर्णाक :४००
शास्त्र – २००
प्रथम प्रश्न पत्र – १००
द्वितीय प्रश्न पत्र – १००
शास्त्र
प्रथम प्रश्न पत्र
(1).उत्तर एवं दक्षिणी भारतीय गायन शैलियों का तुलनात्मक अध्ययन इनकी उत्पति तथा विकास एवं दोनों में अन्तर का कारण ।
(2).उड़ीसी संगीत के विभिन्न घरानों की उत्पति, विकास तथा विशेष
(3).१६वीं तथा २०वीं सदी में संगीत का क्रम, विकास तथा विशेष
(4).भारतीय संगीत पर पाश्चात्य संगीत का प्रभाव ।
(5).छन्द, चम्पू, चौउतिसा तथा चौपाइयों का तुलनात्मक अध्ययन
(6).गायन संगीत की आधुनिक तथा परम्परागत शैलियों का तुलनात्मक अध्ययन |क्या आधुनिक शैली को बनाये रखने में सहायक है ?
(7).शिक्षा के पाठयक्रम में उड़ीसी संगीत को सम्मिलित करने के सुझाव
(8).गीत तथा कविता में अन्तर ।
(9).प्राचीन तथा आधुनिक उड़ीसी गीत के प्रकार
(10).विभिन्न युगों में संगीत की उत्पति तथा विकास । भारतीय संगीत के इतिहास के बारे में विभिन्न विचार ।
(11).वीर युग के संगीत का विस्तृत ज्ञान ।
(12).भरत कालीन संगीत का विस्तृत ज्ञान ।
(13).जाति गायन का विस्तृत ज्ञान तथा राग गायन में इसका विकास ।
(14).गायन कला का विस्तृत ज्ञान ।
(15).भरत, नारद, मतंग, जयदेव तथा शारंगदेव की भारतीय
(16).संगीत तथा उड़ीसी संगीत में विशेष योगदान की भूमिका ।
द्वितीय प्रश्न पत्र
(1).निम्नलिखित ग्रन्थों का विस्तृत ज्ञान-
- भरतकृत नाटय शास्त्र
- नारदीय शिक्षा
- मतंग, कृत बृहदेशी
- संगीत रत्नाकर ।
- रामामात्य कृत स्वरमेल कलानिधि ।
- संगीत सारीणी तथा संगीत कल्पना ।
- गीत-गोविन्द
- संगीत मकरंद ।
- अभिनव गीत मंजिरी
- लक्ष्य संगीत ।
- क्रमिक पुस्तक मालिका भाग V तथा VI
- साहित्य दर्पण
- संगीत का मनोविज्ञान
- संगीत पर भाव भटट का कार्य
- रस कमोदी
- अहोबल कृत संगीत पारिजात
- लोचन कृत राग तरंगिनी
- राग तत्व बोध
- प्रणव भारती
(2).निम्नलिखित का विस्तृत ज्ञान ।
- संगीत के नियम
- संगीत की भाषा
- संगीत का चित्रात्मक पहलू
- संगीत सौन्दर्य तथा लय
(3).संगीत तथा चित्रकला का परस्पर सम्बन्ध |
(4).प्राचीन तथा आधुनिक उड़ीसी तालों का विस्तृत तथा आलोचनात्मक ज्ञान । राग व्याख्या में लय क्रम विकास का विस्तृत तथा आलोचनात्मक अध्ययन |
(5).निम्नलिखित का विस्तृत ज्ञान ।
- कर्नाटकी तथा हिन्दुस्तानी संगीत में रागों का विवेचन
- संगीत की स्वरलिपि
- स्वर संस्कृति तथा ध्वन्यात्मक विशेषताएं
- महफिल (Sabha) गायन.
- संगीत शिक्षा की पद्धति
- हारमोनियम के लाभ तथा हानियां
(6).स्वर की आवृति तथा वेग का विस्तृत ज्ञान, कम्पन, अनुकम्पन, स्वर संगीत, बेसुरापन (विस्वरता), सुमेल स्वर माधुर्य, स्वर तन्त्री तथा सुर संगीत गायन शैलियों के ऐतिहासिक विकास का विस्तृत तथा आलोचनात्मक अध्ययन ।
(7).भारतीय संगीत के भूत, वर्तमान तथा भविष्य का विस्तृत तथा आलोचनात्मक अध्ययन ।
(8).१४वीं सदी से पूर्व के संगीत का विस्तृत तथा तुलनात्मक अध्ययन श्रुति, स्वर, शुद्ध तथा विकृत स्वर, शुद्ध मेल, राग वर्गीकरण, जाति गायन तथा गायन शैलियों का अध्ययन ।
(9).उड़ीसी संगीत तथा इसके भविष्य का विस्तृत तथा आलोचनात्मक इतिहास ।
(10).संगीत में स्वर साधना का विस्तृत तथा आलोचनात्मक अध्ययन |
(11).निम्नलिखित संगीतकारों का उड़ीसी संगीत में योगदान तथा उनकी गायन शैलियों की विशेषतायें
- सिंहारी श्याम सुन्दर
- श्री बालकृष्ण दास श्री रघुनाथ पाणिग्रही
- श्री रघुनाथ
- श्रीमार्कण्डेय महापात्र
- श्री नरेशसिंह नाथ खुटियां
- श्री काशी नाथ पूजापण्डा
- श्रीमती वीना देवी
- श्री निमाई हरिचन्दन
- श्रीमती राधामणि महापात्र
- श्रीमती सुमति देवी
- श्री रखाल चन्द्र महात्ती
- श्री रघुनाथ नन्द
- श्रीमती श्याम मुनि पटनायक
- श्रीमती विष्णुप्रिया मोहन्ती
- श्री भिखारी चनण लाल
- श्री सुखेदव पात्र
- डा. दामोदत
(12).संगीत का मानव जीवन पर प्रभाव का विस्तृत तथा तुलनात्मक अध्ययन, उड़ीसी संगीत की विशेषताएं।
(13)गुरु-शिष्य परम्परा, शिक्षा तथा संगीत में विद्यालय तथा कालेज का योगदान।
क्रियात्मक
(1).निम्नलिखित रागों की गायकी का गहन तथा विस्तृत अध्ययन- मेघ मल्हार, गौरी, कौशिक ध्वनि, त्रिवेनी, जयजयवन्ती, बिहागड़ा, मारू बिहाग, कलावती, मुलतानी, छायानट, चन्द्रकांत, गुणकेरी (गौण्डक्रिया), राम क्रिया तथा माधवी मारवा ।
(2).उपरोक्त रागों में एक कल्पना संगीत मध्यलय में ।
(3).निर्धारित रागों में से किन्हीं दो में दो ध्रुपद ।
(4).विलम्बित लय में किन्हीं दो रागों में कल्पना संगीत ।
(5).उकता तथा त्रिपट, झम्पा, अठताली, खेमटा तथा गणेश आदि। झूला तथा पहपट (Pahapat) का क्रियात्मक ज्ञान ।
(6).अल्पत्व, बहुत्व, आविर्भाव, तिरोभाव, प्रदर्शन के साथ राग परिचय की कुशलता तथा रागों में विभिन्नता ।
(7).उड़ीसी गीत, कल्पना संगीत की तान तथा आलाप के साथ क्रियात्मक प्रदर्शन ।
(8).स्वरलिपि से गायन, गायन से स्वरलिपि तथा तान की स्वरलिपि का क्रियात्मक ज्ञान
(9).धुपद, रागिनी, उड़ीसी भजन, छन्द, अष्टपदी आदि का प्रदर्शन ।
(10).तानपुरा, मरदल, खण्डा, तथा अन्य संगीत वाद्य यन्त्रों की पूर्ण लहरी का अभ्यास तथा इसके स्वरूप तथा विभिन्न भागों का ज्ञान ।
(11).पूर्ववर्ती पाठयक्रमों के सभी तालों तथा विभिन्न लयकारियों का क्रियात्मक ज्ञान ।
(12).आलाप तान, कूटतान तथा स्वर आदि की विशेष विधाओं में निपुर्णता ।
(13).निम्नलिखित रागो का आलाप, मुख्यांग के रूप में अध्ययन तथा शास्त्रीय परिचय के साथ विभिन्न रागवाचक स्वर का ज्ञान- प्रदीप की पटमंजरी, श्री बरारी, मेघ मल्हार, मध्य मावती, माजगुंजी गुरजनी|
(14).पढन्त का अभ्यास ।
मंच प्रदर्शन
(1).परीक्षार्थी को विलम्बित, मध्य तथा द्रुत लय में किसी भी राग में उड़ीसी कल्पना संगीत का ३० मिनट तक प्रदर्शन करना होगा । ५ से १० मिनट तक कोई उड़ीसी संगीत अथवा भजन का गायन ।
टिप्पणी- पूर्व वर्षो का पाठयक्रम संयुक्त रहेगा ।