Odissi Nritya Bhaskar Final Syllabus In Hindi Pracheen Kala Kendra

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Odissi Nritya Bhaskar Final Syllabus In Hindi

उड़ीसी नृत्य

परीक्षा के अंक

पूर्णांक : ४००

शास्त्र – २००

प्रथम प्रश्न पत्र – १००

द्वितीय प्रश्न पत्र – १००

क्रियात्मक – १२५

मंच प्रदर्शन- ७५

शास्त्र

प्रथम प्रश्न पत्र

(1).प्राचीन, मध्यकालीन तथा आधुनिक युगों में उड़ीसी नृत्य के विशेष तौर पर तथा अन्य भारतीय नृत्यों में सम्बन्धित ग्रन्थों का आलोचनात्मक अध्ययन।

(2).उड़ीसी नृत्य के विख्यात कलाकारों का विस्तृत जीवन चरित्र तथा उनका योगदान।

(3).विभिन्न कालों में उड़ीसी नृत्य के उद्गम तथा विकास का आलोचनात्मक अध्ययन।

  • उड़ीसी नृत्य में प्रयुक्त रंगभूषा तथा वेषभूषा का विस्तृत ज्ञान।
  • प्राचीन, मध्यकालीन तथा आधुनिक युग में वेषभूषा में परिर्वतन तथा किन कारणों से ये परिर्वतन हुए?

(4).नृत्य, नाटय तथा नृत्त में तुलना। नाट्य का उद्गम। भारतीय जीवन  में नृत्त नाट्य तथा नृत्त का सम्बन्ध

(5).उडीसी लोक नृत्य का विस्तृत तथा आलोचनात्मक अध्ययन एव विभिन्न प्रदेशों के अन्य लोक नृत्यों से उनकी तुलना ।

(6).-

  • वाद्य वृन्द का उड़ीसी नृत्य में तथा अन्य शास्त्रीय नृत्यों में स्थान तथा महत्त्व।
  • नृत्य में वाद्य वृन्द के सिद्धान्त तथा आवश्यकता एवं सुधार के सुझाव।

(7).घुंघरूओं का उद्गम तथा विकास। उड़ीसी नृत्य में घुंघरूओं तथा घुंघरूओं में श्रेष्ठ प्रभाव लाने का साधन।

(8).सभी भारतीय शास्त्रीय नृत्यों का विस्तृत अध्ययन, उनका उद्गम तथा विकास।

(9).गायन तथा वाद्य संगीत में सम्बन्ध एवं उड़ीसी नृत्य वाले वाद्यों का विस्तृत अध्ययन।

(10).उड़ीसी नृत्य का चित्रकारी, मूर्तिकला, तथा अन्य ललित कलाओं से सम्बन्ध।

(11).बैले तथा ऑपेरा का विस्तृत अध्ययन।

(12).१७वीं तथा १८वीं शताब्दियों में आमतौर पर कलाओं तथा विशेष रूप से नृत्य का ह्रास।

(13).मण्डल की परिभाषा, इसके विभिन्न पहलू तथा उड़ीसी नृत्य में विशेष रूप से तथा अन्य नृत्यों में साधारण तौर पर महत्व।

द्वितीय प्रश्न पत्र

(1).लिपि का विस्तृत उड़ीसी अध्ययन, विभिन्न लयकारियों में स्वरलिपि में नृत्य की सभी तालों तथा बोलों को लिखने का ज्ञान।

(2).नई स्वरलिपि पद्धति निर्माण करने के लिए सुझाव ।

(3).नायक तथा नायिका के भेदों तथा उनमें अन्तर का विस्तृत तथा आलोचनात्मक अध्ययन।

(4).उड़ीसी नृत्य में नायक तथा नायिका का स्थान।

(5).उड़ीसी नृत्य में प्रयुक्त हस्त मुद्राओं तथा उनके प्रयोग का विस्तृत तथा आलोचनातमक अध्ययन।

(6).मुद्राओं का रस तथा भाव से सम्बन्ध।

(7).लास्य तथा ताण्डव का विस्तृत अध्ययन तथा ऐतिहासिक पृष्ठभूमि उनके विभिन्न भेद, उड़ीसी नृत्य में उनका महत्व तथा मानवीय, जीवन पर उनका प्रभाव|

(8).रास नृत्य का उद्गम, इसका इतिहास तथा विकास एवं इसमें वेशभूषा, मंच प्रकाश तथा वाद्य वृन्द का स्थान व उनका परस्पर सम्बन्ध।

(9).

(10).सभी शास्त्रीय नृत्यों का तुलनात्मक अध्ययन, उनकी वेषभूषा, रंग भूषा, मंच प्रकाश, वाद्य वृन्द, शैली, रस, भाव तथा मुद्रा आदि।

(11).भारत के विभिन्न प्रदेशों के लोक नृत्यों का तुलनात्मक अध्ययन, उनकी विशेषताएं तथा मानव जीवन पर उनका प्रभाव।

(12).

(13).अभिनय के विभिन्न पहलुओं का विस्तृत तथा आलोचनात्मक अध्ययन एवं अभिनय तथा नृत्य में सम्बन्ध।

(14).चारी की परिभाषा, इसके विभिन्न पहलू तथा उड़ीसी नृत्य में महत्व, तथा रस और भाव से सम्बन्ध।

क्रियात्मक

(1).निम्नलिखित में से किन्ही दो का व्यवहारिक ज्ञान:-

               कः आधुनिक नृत्य

               ख : टैगोर नृत्य

               गः उदयशंकर नृत्य शैली

               घः रास नृत्य।

(2).भारत के विभिन्न क्षेत्रों के पांच प्रकार के लोक नृत्य के प्रदर्शन की योग्यता ।

(3).निम्नलिखित में से किसी एक शास्त्रीय नृत्य की प्रमुख विशेषताएं प्रदर्शित करने की योग्यता: -कुचीपुडी, कथाकली अथवा कत्थक।

(4).सभी उड़ीसी लोक नृत्यों का क्रियात्मक प्रदर्शन |

(5).अंग, प्रत्यंग तथा उपांगो का उड़ीसी नृत्यों में प्रयोग का क्रियात्मक ज्ञान ।

(6).करण, अंगहार का उड़ीसी नृत्य में प्रयोग का क्रियात्मक प्रदर्शन

(7).उड़ीसी नृत्य में प्रयुक्त सभी मुद्राओं का क्रियात्मक प्रदर्शन।

(8).लास्य तथा ताण्डव के सभी पहलुओं का क्रियात्मक तथा उनका उड़ीसी नृत्य में महत्व।

(9).नायक तथा नायिका के सभी भेदों का प्रदर्शन तथा उनका उड़ीसी नृत्य में प्रयोग।

(10).विभिन्न रसों तथा भावों के प्रदर्शन की योग्यता तथा उनका उड़ीसी नृत्य में महत्व।

(11).उड़ीसी पुराण पर आधारित रचनाओं पर नृत्य प्रदर्शित करने की योग्यता ।

मंच प्रदर्शन –

(1).परीक्षार्थी का ४५ मिनट तक विभिन्न तालों में उड़ीसी नृत्य के विभिन्न पहलुओं के साथ किसी ताल में सुन्दर प्रदर्शन।

टिप्पणी – पूर्व वर्षो का पाठ्यक्रम संयुक्त रहेगा।

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