Instrumental music syllabus of U.p board class 12th music syllabus in Hindi is described in this post of Saraswati sangeet sadhana .
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यू.पी.बोर्ड के इंटर का पाठ्यक्रम
संगीत (गायन ) कक्षा 12 , प्रथम प्रशन –पत्र
संगीत विज्ञान
निम्नलिखित पारिभाषिक शब्दों की परिभाषा और व्यख्या-नाद के लक्षण, जाति,ऊँचाई-निचाई,,नाद का छोटा-बड़ापन,शुद्व और विकृत स्वर,श्रुति, शुद्ध स्वरों की आंदोलन संख्या औऱ तार पर उनका,आलाप, तान,मुर्की, कम्पन,मींड,गमक, छूट,तानो के प्रकार (सपाट आदि),आरोह-अवरोह, पकड़,वक्र, वादी स्वर का आलोचनात्मक अध्ययन, सम्वादी,अनुवादी और विवादी, अंश,न्यास,अल्पत्व और बहुत्व।
विशिष्ट रागो के गाने-बजाने की उपयुक्त धूने।
पूर्व राग,उत्तर राग,सन्धि प्रकाश राग,आश्रय राग और परमेल प्रवेशक राग।
उत्तरी और दक्षिणी भारत के थाटो का विभाजन और उनसें रागो की उत्त्पत्ति।
हिन्दुस्तानी और कर्नाटक पध्दति के स्वरों और श्रुतियो का तुलनात्मक अध्ययन।
तानपुरा के विभिन्न अंगो का ज्ञान,तानपूरा मिलाने की विधि,उनके सहायक नाद आदि।
द्वितीय प्रशन–पत्र
संगीत का इतिहास औऱ रागों का आध्ययन।
गीतो के प्रकार और उनकी गायन शैलीयाँ-
ध्रुपद, धमार,ख़याल, टप्पा,ठुमरी, तराना,सरगम,लक्षणगीत, भजन,त्रिवट, चतुरंग,राग-माला और टोली।
क्रियात्मक परीक्षा मे निर्धारित रागों के लक्षण, स्वर-समूहो द्वारा राग विस्तार औऱ समप्रक्रति जटिल रागों की रचना।
पाठ्यक्रम में निर्धारित तालो के ठेकों का ज्ञान और उनकी दुगुन-तिगुन और चौगुन का ज्ञान।
आलाप,तान तथा बोल-तान सहित गीतों की स्वर-लिपि लिखने की छमता।
छोटे स्वर-समूहों द्वारा राग पहिचानना तथा उन स्वर-समूहों का विस्तार करने की छमता।
संगीत सम्बन्धी साधारण विषयो पर लेख।
हिन्दुस्तानी संगीत का संछिप्त इतिहास।
शारंगदेव,तानसेन, अमीर खुसरों, भातखण्डे,विष्णु दिगम्बर और गोपाल नायक की जीवनियाँ और भारतीय संगीत में उनकी देन।
क्रियात्मक
1.निम्नलिखित 6 रागो का विशिष्ट अभ्यास–
वृन्दावनी सारंग, भीमपलासी, भैरव,केदार,मालकोश और जौनपुरी।
प्रत्येक में कम से कम एक द्रुत ख्याल तैयार होना चाहिए।विद्यार्थियों से यह आशा की जाती है कि उपर्युक्त चीजे आलाप,तान,मुर्की और स्वर तथा ताल-सौन्दर्य सहित गायेंगे।इन रागो में थोड़ी स्वतंत्रता के साथ आशु रचना करने की छमता होनी चाहिए।
स्वर और ताल के चमत्कार पे विशेष बल न देकर रागो के स्वाभाविक प्रवाह ,सफाई,स्वरों की शुद्वता तथा मधुरता पर अधिक बल दिया जाना चाहिये।
उक्त्त रागो के गीतों में कम से कम एक ध्रुपद अथवा धमार,एक विलम्बित ख्याल तथा एक तराना होना चाहिए।
2.निम्नलिखित रागो के साधारण अभ्यास –
दुर्गा,गौड़ सारंग,हिंडोल, पूर्वी,हमीर,और बाहर।
प्रत्येक में एक-एक गीत होना चाहिये, किन्तु सरगम या लक्षण गीत नहीं, इनमें आलाप-तान आदि की आवश्यकता नही है, केवल स्थाई-अंतरा पर्याप्त है।परीक्षार्थी में हर रागो का आरोह-अवरोह और पकड़ गाने की योग्यता होनी चाहिये, धीमी गति के आलाप को पहिचानने की छमता होनी चाहिये।
3.निम्न तालो में कम से कम एक गीत तैयार होना चाहिये-तीनताल, झपताल,एकताल,चौताल और धमार,निर्धारित सभी तालो को हाथ पर ताल देना आना चाहिये, पाठ्यक्रम के सभी तालो को ठेके के साथ कहने की योग्यता होनी चाहिये।
4.राग के छोटे स्वर-समुदायों को जब आकार में गाया अथवा बजाया जाए तो विद्यार्थी उनका स्वर बतला सके।यह स्वर-समुदाय पाठ्यक्रम के विस्तृत आध्ययन के रागो से लिये जावेंगे।
Instrumental music syllabus of Music syllabus of class 12th U.p board in Hindi is described in this post of Saraswati Sangeet Sadhana..
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