Manipuri Nritya Bhaskar Final Syllabus
मणिपुरी नृत्य
परीक्षा के अंक
पूर्णाक :४oo
शास्त्र – २००
प्रथम प्रश्न पत्र – १००
द्वितीय प्रश्न पत्र – १००
क्रियात्मक – १२५
मंच प्रदर्शन- ७५
शास्त्र
प्रथम प्रश्न पत्र
- कंठ संगीत तथा वादन का परस्पर सम्बन्ध तथा इन दोनों का नृत्य से सम्बन्ध ।
- घुंघरू की उत्पति, विकास तथा इसकी नृत्य में उपयोगिता के विषय में ज्ञान ।
- रवीन्द्र रचना को नृत्य रूप प्रदान करते समय क्या भारतीय शास्त्रीय की शिक्षा आवश्यक है ? इस विषय की अलोचना ।
- गुरू आमूबी सिंह तथा गुरू आतम बापू शर्मा का मणिपुरी नृत्य में योगदान ।
- मणिपुरी नृत्य उत्पति के साथ जड़ित प्रचलित कहानी की जानकारी तथा हिन्दु प्राचीन मत से इसकी तुलनात्मक आलोचना ।
- भारत की विभिन्न शास्त्रीय नृत्य कलाओं में मुद्रा का प्रयोग किस शास्त्र में से अनुसरण किया जाता है तथा क्यों? इस विषय का विस्तृत अध्ययन ।
- मणिपुरी नृत्य की विशेषताएं तथा अन्य भारतीय शास्त्रीय नृत्यों का इससे तुलनात्मक तथा विस्तृत अध्ययन ।
- मणिपुरी नृत्य के कुछ प्राचीन विद्वानों का उल्लेख करते हुए मणिपुर प्रदेश के सामाजिक जीवन पर आधारित कुछ तत्वपूर्ण नृत्यों का संक्षिप्त परिचय |
- चतकोई चक्र तथा जागोई इन शब्दों में परस्पर सम्बन्ध के विषय मे जानकारी ।
- रामायण, महाभारत महाकाव्य कहानी पर आधारित नृत्य तथा राधा और श्रीकृष्ण प्रेम लीला पर आधारित नृत्य रचना में क्या अंतर है इसका आलोचनात्मक अध्ययन ।
- भरत मुनि के वशंघर भारत के किस प्रदेश में बसे ? उनकी कला का क्या नाम व स्वरूप है तथा वे किस-किस विषय आधार मान कर नृत्य अनुष्ठित करते हैं।
- भारतीय शास्त्रीय नृत्यों पर विभिन्न कालों में रचित ग्रंथों विशेषत. मणीपुरी नृत्य के संदर्भ में आलोचनात्मक अध्ययन।
- मणीपुरी नृत्य के विभिन्न कलाकारों का जीवन परिचय एवं योगदान
- मणीपुरी नृत्य में प्रयुक्त रंगमंच एवं मंच प्रकाश की उत्पत्ति एवं विकास का ज्ञान तथा मंच सज्जा में हुऐ नवीन प्रयोगों एवं परिवर्तनों का ज्ञान ।
- प्राचीन काल से वर्तमान काल तक मणीपुरी का इतिहास।
- वैष्णव धर्म का विस्तृत ज्ञान एवं मणीपुरी नृत्य पर इसके प्रभाव पर टिप्पणी ।
- मणीपुरी नृत्य की रूपसज्जा, वेशभूषा तथा पार्श्व संगीत का पूर्ण ज्ञान।
- नाटय की उत्पत्ति एवं मानव जीवन से इसका सम्बन्ध।
- नृत्त, नाटय एवं नृत्य का तुलनात्मक अध्ययन।
- ताण्डव एवं लास्य की उत्पत्ति का इतिहास तथा मणीपुरी नृत्य में इनके प्रयोग का ज्ञान ।
- मणीपुरी नृत्य का चित्रकला, मूर्तिकला और अन्य ललित कलाओं से सम्बन्ध।
- मणीपुरी नृत्य में वृन्दवादन की महत्वता और इसमें सुधार के सुझाव।
- बैले, आपेरा और रासलीला का पूर्ण ज्ञान।
द्वितीय प्रश्न पत्र
- निबन्ध-क. आधुनिक काल में भागी नृत्य का महत्व |ख: बंगला नृत्य | गः पाश्चात्य नृत्य का भारतीय नृत्य पर प्रभाव ।
- नृत्य विषय पर खुदी हुई मूर्तियां भारत के किस-किस स्थानों पर मन्दिरों तथा गुफाओं में दिखाई देती है तथा क्या यह प्राचीन हिन्दु संस्कृति का प्रतीक है इस पर आलोचनात्मक अध्ययन।
- पाठयक्रम में निर्धारित समस्त तालों को विभिन्न लयकारियों में लिखनें का अभ्यास तथा तालों में समानता तथा विभिन्नता का ज्ञान ।
- भारतीय रंग मंच का इतिहास तथा मंच प्रकाश नियन्त्रण का ज्ञान।
- नृत्य में वेशभूषा का स्थान तथा महत्व । वेशभूषा से भाव का सम्बन्ध ।
- मणिपुरी नृत्य में सखा तथा उसका स्थान । कृष्ण बाल लीलाओं में सखाओं का चरित्र ।
- मणिपुरी नृत्य मण्डप व रंगमंच में सजावट पद्धति का विस्तृत ज्ञान ।
- नृत्य तथा गीत प्रेरणा से प्रभावित मणिपुरी सामाजिक जीवन ।
- मणिपुरी रास नृत्य की वेशभूषा का विशेष ज्ञान ।
- मणिपुरी नृत्य के विकास क्रम में मणिपुरी राजाओं की भूमिका का आलोचनात्मक अध्ययन ।
- मणीपुरी ताल लिपि पद्धति का ज्ञान, उत्तरी एवं दक्षिणी ताल लिपि से मणीपुरी ताल पद्धति का तुलनात्मक अध्ययन।
- मणीपुरी नृत्य के समस्त बोलों को ताल लिपिबद्ध करने की क्षमता ।
- चारी एवं मण्डल के विभिन्न प्रकार तथा मणीपुरी नृत्य में रस एवं भाव उत्पन्न करने में इनकी महत्वता का विस्तृत ज्ञान ।
- आधुनिक नृत्यों की उत्पत्ति तथा विकास का ज्ञान, रस-भाव और पार्श्व संगीत की आधुनिक नृत्य में महत्वता का विस्तृत ज्ञान।
- निम्नलिखित विषयों पर निबन्ध:-(क) शास्त्रीय और लोक नृत्य (ख) लय ताल का परस्पर सम्पन्न
- (ग) पाश्चात्य नृत्यों का भारतीय नृत्योंपर प्रभाव (घ) नृत्य समललित कलाओं में श्रेष्ठ (ड) नृत्य और रस (घ) नृत्यों वर्गीकरण (छ) नृत्य अभिव्यक्ति का साधन
- (१७) मणीपुर प्रदेश के समस्त लोक नृत्यों का ज्ञान ।
- मणीपुरी नृत्य में प्रयुक्त समस्त परिभाषिक शब्दों का ज्ञान ।
- मणीपुरी शास्त्रीय एवं लोक नृत्यों में विभिन्न तालों के चयन के सिद्धांत
- भारतीय एवं पाश्चात्य नृत्यों का तुलनात्मक अध्ययन ।
- पाश्चात्य के प्रमुख नृत्यों का इतिहास इनमें ताल, लय, भाव और वादय वृन्द का स्थान।
क्रियात्मक
- स्वरमाला, चतुरंग तथा प्रबन्ध का क्रियात्मक ज्ञान ।
- ‘गीत गोविंद’ में भगवान विष्णु के दशावतार के स्वरूप का नृत्य माध्यम से प्रदर्शन ।
- निम्नलिखित का प्रदर्शन-क: लास्य- ताण्डव,ख: नृत्, नृत्य तथा नाटय गः नायक-नायिका भेद ।
- मंजीरा तथा पुंग (खोल) सहित संगत का अभ्यास ।
- जागतो जागोई (असि बल्लम नृत्य) नृत्य का क्रियात्मक ज्ञान ।
- थाबल चोग्बा नृत्य का क्रियात्मक ज्ञान ।
- हिन्दुस्तानी तथा मणिपुरी तालों का तुलनात्मक व क्रियात्मक ज्ञान
- पश्चिमी बंगाल, मध्य भारत तथा उत्तर भारत के विभिन्न लोक नृत्यों को प्रदर्शन करने की क्षमता ।
- रविन्द्र नृत्य नाट्य तथा गीत नाट्य का मणिपुरी नृत्य शैली में रचना करने का क्रियात्मक ज्ञान ।
- अग, प्रत्यग एवं उपांग की क्रियात्मक प्रदर्शन करने की क्षमता।
- रास लीला के समस्त प्रकारों का क्रियात्मक प्रदर्शन ।
- निम्नलिखित को क्रियात्मक करने की क्षमता –
(क) नवरस एव भाव
(ख) नायक नायिक भेद
(ग) मणीपुरी नृत्य प्रयुक्त समस्त मुद्राऐ।
(घ) अभिनय व उसके प्रकार
(ड) टैगोर नृत्य
(च) उदय शंकर नृत्य
(छ) आधुनिक नृत्य
- प्राचीन काल से वर्तमान काल की जितनी भी ताले प्रचलित है उन पर नृत्य करने की क्षमता ।
- निम्नलिखित प्रदेशों के लोक नृत्यों का ज्ञान:-उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश एवं पश्चिमी बंगाल
मंच प्रदर्शन –
- ४५ मिनट अनिवार्य ।
- टिप्पणी- पूर्व वर्षो का पाठयक्रम संयुक्त रहेगा ।