जनप्रिय राग मालकोश को भैरवी थाट से उत्पन्न माना गया है। इसमें ऋषभ और पंचम वर्ज्य है। अतः इसकी जाति औडव- औडव है। वादी मध्यम और संवादी षडज है। रात्रि के तृतीय प्रहर में इसे गाते – बजाते है। इसमें गंधार, धैवत और निषाद तीनों स्वर कोमल लगते है
थाट भैरवी वादी म स, रखिये रे प वर्ज्य।
तृतीय प्रहर निशि गाईये, मालकोश का अर्ज।।
Malkauns Raag
Malkauns Raag Parichay
आरोह- सा ग(k) म, ध(k) नि(k)सां।
अवरोह- सां नि(k) ध(k) म, ग(k) म ग(k) सा।
पकड़- .ध(k) .नि(k) स म, ग(k) म ग(k) सा।
थाट – भैरवी थाट
वर्जित स्वर – रे , प
वादी -सम्वादी स्वर – म – सा
जाति – औडव- औडव
गायन समय – रात्रि के तृतीय प्रहर
राग मालकोश की विशेषता–
- इसे कुछ लोग मालकंश और कुछ लोग मालकोश कहते है। वास्तव मे इन दोनों से एक ही राग का बोध होता है।
- इस राग की चलन तीनों सप्तको में समान रूप से होती हैं।
- इसमें बडा ख्याल, छोटा ख्याल, ध्रुपद, धमार, तराना, मसीतखानी गत रज़ाखानी गत सभी गाये बजाये जाते है। इसमें ठुमरी नहीं गाई जाती है।
- इसमें केवल नि शुद्ध कर देने से राग चंद्रकोश हो जाता है।
- इसमें पंचम वर्ज्य होने के कारण इसे गाते समय तानपूरे के प्रथम तार को मंद्र सप्तक सें मिलाते हैं।
- गंभीर और शांत प्रकृति का राग होने के कारण यह मींड प्रधान राग है।
न्यास के स्वर- सा, ग(k) और म।
समप्रकृति राग- चंद्रकोश।
विशेष स्वर संगतियाँ-
1-.ध(k).नि(k)सा म, .ग(k)म ग(k)सा,
2-म ग(k),म ग सा,
3- ग(k) म, ध(k) नि(k) सां,
4-सां नि(k)ध(k)नि(k)ध(k) म।
बन्दिश-
स्थायी –
कोयलिया बोले अंबुआ की डार पर
ऋतु बसंत को देत संदेशवा
अंतरा –
नव कलियन पर गुंजत भवरा
उनके संग करत रंग रलियाँ
यही बसंत को देत संदेशवा
स्वरमलिका / Notation
को य लि या / बो ले अं बु / आ – की डा / र प र –
सां सां नि(k) सां / ध(k) म ध(k) नि(k) सां – नि(k) सां / ध(k) म म –
ऋ तु ब सं / – त को – / दे – त सं / दे श वा –
ग(k) ग(k) म धनि(k) / सां नि(k) सां – / म ग(k) म ध(k) / म ग(k) सा –
अंतरा –
न व क लि / य न प र / गुं – ज त / भ व रा –
ग(k) ग(k) म म / ध(k) ध(k) नि(k) नि(k) / सां – सां सां / गं (सां)नि(k) सां –
उ न के – / सं – ग(k) क / र त रं ग(k) / र लि याँ –
नि(k) नि(k) नि(k) – / सां – सां सां / (नि)ध(k) ध(k) निसां / (नि)ध(k) म म –
य ही ब सं / – त को – / दे – त सं / दे श वा –
ग(k) ग(k) म धनि(k) / सां नि(k) सां – / म ग(k) म ध(k) / म ग(k) सा –
16 मात्रा आलाप /Matras Allaap
कोयलिया बोले अंबुआ की डार पर
सा – – – / .ध(k) .नि(k) सा – / .ध(k) .नि(k) सा ग(k) / म ग(k) सा –
कोयलिया बोले अंबुआ की डार पर
सा ग(k) म – / ग(k) म ग(k) सा / .नि(k) सा .ध(k) .नि(k) / सा – – –
कोयलिया बोले अंबुआ की डार पर
ग(k) म ध(k) म / ग(k) म ग(k) सा / .नि(k) सा .ध(k) .नि(k) / सा – – –
कोयलिया बोले अंबुआ की डार पर
ग(k) म ध(k) – / ध(k) – म – / ग(k) म ग(k) सा / .नि(k) सा – –
कोयलिया बोले अंबुआ की डार पर
ग(k) म ध(k) नि(k) / ध(k) – म – / ग(k) म ग(k) सा / नि(k) सा – –
कोयलिया बोले अंबुआ की डार पर
ग(k) म ध(k) नि(k) / सां – नि(k) सां / सां नि(k) ध(k) म / ग(k) म ग(k) सा
कोयलिया बोले अंबुआ की डार पर
सा ग(k) म – / ग(k) – सा – / .ध(k) .नि(k) सा ग(k) / सा – – –
कोयलिया बोले अंबुआ की डार पर
सा ग(k) म – / ग(k) म ध(k) – / म ध(k) नि(k) – / ध(k) नि(k) सां –
नव कलियन पर गुंजत भवरा
सां – – – / सां नि(k) ध(k) म / ग(k) म ग(k) सा / गम धनि(k) सांगं सां-
नव कलियन पर गुंजत भवरा
सां – – – / ध(k) नि(k) सां – / ध(k) नि(k) सां गं / मां गं सां –
16 मात्रा तान / Matras Taan
कोयलिया बोले अंबुआ की डार पर
साग(k) मम गम धध(k) / मध(k) निनि(k) धनि(k) सांसां / सांनि(k) धध(k) निध(k) मम / गम धम गम गसा
कोयलिया बोले अंबुआ की डार पर
साग(k) साग(k) मग(k) मग(k) / गम गम धम धम / मध(k) मध(k) निध(k) निध(k) / सांनि(k) धम गम गसा
कोयलिया बोले अंबुआ की डार पर
सासा गग(k) मम धध(k) / गग(k) मम धध(k) निनि(k) / मम धध(k) निनि(k) सांसां / सांगं सांनि(k) धम गसा
कोयलिया बोले अंबुआ की डार पर
साग(k) मसा गम साग(k) / गम धग(k) मध(k) गम / मध(k) निम धनि(k) मध(k) / सांनि(k) धम गम गसा
कोयलिया बोले अंबुआ की डार पर
गम धम गम धनि(k) / धम गम धनि(k) सांनि(k) / धम गम धनि(k) सांगं सां- / सांनि(k) धम गम गसा
कोयलिया बोले अंबुआ की डार पर
Malkauns Raag Details
मालकौंस राग के आरोह अवरोह पकड़ क्या हैं ?
आरोह- सा ग(k) म, ध(k) नि(k)सां।
अवरोह- सां नि(k) ध(k) म, ग(k) म ग(k) सा।
पकड़- ध(k) नि(k) स म, ग(k) म ग(k) सा।
मालकौंस राग की जाति क्या है ?
थाट – भैरवी थाट
मालकौंस राग का गायन समय क्या है ?
गायन समय – रात्रि के तृतीय प्रहर , 12 am to 3 am
मालकौंस राग में कौन से स्वर लगते हैं ?
आरोह- सा ग(k) म, ध(k) नि(k)सां।
अवरोह- सां नि(k) ध(k) म, ग(k) म ग(k) सा।
पकड़- ध(k) नि(k) स म, ग(k) म ग(k) सा।
मालकौंस राग का ठाट क्या है ?
थाट – भैरवी थाट
मालकौंस राग के वादी संवादी स्वर कौन से हैं ?
वादी -सम्वादी स्वर – म – सा
मालकौंस राग का परिचय क्या है ?
आरोह- सा ग म, ध नि सां।
अवरोह- सां नि ध म, ग म ग सा।
पकड़- .ध .नि स म, ग म ग सा।
थाट – भैरवी थाट
वर्जित स्वर – रे , प
वादी -सम्वादी स्वर – म – सा
जाति – औडव- औडव
गायन समय – रात्रि के तृतीय प्रहर
Malkauns raag Koyaliya bole ambuaa ki daar par-Bandish-Allap-Taan is described in this post of Saraswati Sangeet Sadhana..
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Bahut bdhiya