Kathak Dance Nirtya Bhushan Part 2
कत्थक नृत्य
परीक्षा के अंक
पूर्णांक -१५०
शास्त्र – ५०
विद्यात्मक – 100
शास्त्र
(1).नृत्य में घुंघरू के प्रयोजन और महत्व के सम्बन्ध में ज्ञान और कत्थक नृत्य के घुंघरू किस प्रकार के होने चाहिए।
(2).जीवन परिचय गुरु नारायण प्रसाद जी एवं विन्दा दीन महाराज जी।
(3).परिभाषा – कवित्त, चक्करदार परण, गत, असयुक्त मुद्रा।
(4).पाठयक्रम में निर्धारित तालों में टुकड़ा, परण आदि ताल लिपि में लिखने का अभ्यास ।
(5).भातखण्डे ताल लिपि पद्धति का ज्ञान ।
क्रियात्मक
(1).लय और ताल में कन्धा, सिर कमर आदि का संचालन ।
(2).ठाट, कसक, मसक और कटाक्ष ।
(3).पूर्व वर्ष के पाठयक्रम के लोगों को विलम्बित लय में प्रदर्शन का अभ्यास ।
(4).त्रिताल में –
- बारह तोडे,
- दो परण,
- दो आमद,
- एक सलामी,
- दो कवित ।
(5).झपताल में
- ठाह और दुगन मेंतत्कार ।
- दो परण ।
- छ: तोडे।
(6).बिताल, दादरा और कहरवा ताल में आधुनिक नृत्य ।
(7).चेहरे के विशेष भाव के सहित पांच गत- निकास का प्रदर्शन.
(8).चार प्रकार का ग्रीवा संचालन और आठ प्रकार का शिर संचालन
(9).एक हाथ की मुद्रा का क्रियात्मक ज्ञान।
(10).ताल, झपताल, कहरवा और दादरा ताल में नृत्य का अभ्यास
(11).उपयुक्त तालों के ठेकों को ठाह, दुगुन और चौगुन एवं नृत्य के माध्यम से प्रदर्शन की क्षमता।
टिप्पणी- पूर्व वर्षों का पाठयक्रम संयुक्त रहेगा।