Description & tuning of tabla I Introduction to tabla music instrument in hindi is described in this post .
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Introduction to tabla music instrument.
तबला वर्णन
आधुनिक काल में गायन, वादन तथा नृत्य की संगति में तबले का प्रयोग होता है। तबले के पूर्व यही स्थान पखावज तथा मृदंग को प्राप्त था।
कुछ दिनों से तबले का स्वतंत्र वादन भी अधिक लोकप्रिय होता जा रहा है।
स्थूल रूप से तबले को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है- दाहिना तबला जिसे कुछ लोग दाहिना भी कहते है तथा बायाँ अथवा डग्गा। नींचे हम दोनों तबले के विभिन्न अंगों पर विचार करेंगे।
दाहिना तबले के अंग
- लकड़ी– यह अधिकतर कटहल, आम, खैर, सागौन अथवा विजयसाल की लकड़ी की होती है जो अन्दर से खोखली होती है। इसकी आकृति गोल, ऊपर की परिधि का व्यास लगभग5-6 इंच और नींचे की परिधि लगभग 9 इंच तथा लगभग 1 फीट ऊंची होती हैं।
- पूडी– लकड़ी के मुंह पर मढे हुये पूरे चमडे को पूडी कहते है। अतः चांटी, लव, स्याही और खाल का संयुक्त नाम पूडी है। यह बकरे की खाल होती हैं और लकड़ी के ऊपर बद्धी से कसी होती हैं।
- गजरा– पूडी के चारों ओर चमडे की मोटी माला होती है जिसे गजरा कहते है। इसमें 16 छिद्र होते है जिनमें से बद्धी गुजरती है।
- चांटी– पूडी के किनारे- किनारे अंदर की तरफ लगी हुई चमडे की पट्टी को चांटी कहते है।
- स्याही– पूडी के बीचोबीच चांटी से लगभग 1 इंच की दूरी पर चंद्राकार काले मसाले को स्याही कहते है। पतली स्याही लगाने से तबला ऊचे स्वर से और मोटी स्याही से नीचें स्वर से मिलता है।
- लव– चांटी और स्याही के बीच खाली स्थान को स्याही अथवा मैदान कहते है।
- बद्दी– गजरे के बीच से जाने वाली चमडे की लम्बी पट्टी को बद्दी कहते है। बद्दी से पूडी कसी रहती है और गट्टों पर से होती हुई ऊपर नींचे के गजरों में फसी रहती है।
- गट्टा– दाहिने तबले पर लगभग 2 इंच लम्बी लकडी के 8 गोल टूकड़े होते है, जिन्हें गट्टा कहते है। गट्टा बद्दी से दबे रहतें है। उन्हें नींचे खिसकाने से तबले का स्वर ऊपर और ऊपर खिसकाने से तबले का स्वर नींचे जाता है।
- गुड़री–तबले की पेंदी में चनड़े की बनी हुई एक माला जिसमें से बद्दी निकलती है गुड़री कहलाती हैं। गुड़री से बद्दी कसी रहती है और तबला जमीन पर टिकता है।
बायां अथवा डग्गा के अंग
- कूड़ी– जिस प्रकार दाहिने तबले पर कूड़ी कसी रहती है उसी प्रकार बायां अथवा डग्गे में कूडी के मुह पर पूड़ी कसी रहती है। मिट्टी के अतिरिक्त तांबे अथवा लकड़ी की भी कूड़ी होती है।
- पूड़ी– कूड़ी के मुह पर गढे गये समस्त चमडे को पूड़ी कहते है। दाहिने के समान डग्गे की पूड़ी में भी चांटी, लव और स्याही का समावेश होता है।
- चांटी– पूड़ी के चारों ओर अंदर की तरफ लगी हुई पट्टी को चांटी कहते है।
- स्याही– पूड़ी में ऊपर की ओर स्थित चंद्राकार काली वस्तु को स्याही कहते है।
- लव– चांटी और स्याही के बीच खाली स्थान को लव.अथवा मैदान कहते है।
- गजरा– दाहिने के समान डग्गे में भी चमडे के बने हुए हार में पूड़ी गुथी रहती है, जिसे गजरा कहते है। गजरे पर ऊपर से आघात करने पर डग्गा कसता है और नींचे से अरने पर ढीला होता है।
- डोरी– पूड़ी को कसने के लिये कुछ डग्गो में डोरी और अधिकांश में चमडे की लम्बी पट्टी प्रयोग की जाती है। कुछ डग्गो में डोरी कसने के लिये छल्ले भी लगे रहते है।
- गुड़री– दाहिने के समान बांये की पेंदी मे भी चमडे की माला होती है जिसे गुड़री कहते है।
तबला मिलाने की विधि
- दाहिने तबले को अधिक चढाने उतारने के लिए गट्टे और सूक्ष्म उतारने चढाने के लिये गजरे को हथौड़ी से आघात करते है।
- तबला चढाने के लिये ऊपर से और उतारने के लिये नींचे से आघात करते है।
- सर्वप्रथम दाहिने को सुनते है कि उसे चढाने की जरूरत है या उतारने की। उसके बाद यह देखते है कि अधिक अन्तर है या सुक्ष्म। इतना समझने के बाद आवश्यकता अनुसार उचित स्थान पर दो रीतियों से आघात करते है।
- क्रमानुसार गट्टों पर आघात करते है, जैसे सर्वप्रथम पहले,उसके बाद दूसरे, तीसरे चौथे आदि पर।
- एक स्थान से आघात करने के बाद उसके सामने वाले स्थान पर आघात करते है। सूक्ष्म अन्तर होने पर गजरे को आघात करते है। तबला चढाने के लिये ऊपर से और उतारने के लिए नींचे से आघात करते है। बायें तबले में गट्टा नही.होता अतः उसके गजरे को आघात करते है।
- तबले को स, म अथवा प से मिलाते है। स्वर का चुनाव राग के अनुसार होता है। अगर गायक ऐसा राग गाने वाला है, जिसमें पंचम वर्ज्य है जैसे- मालकौंस, तो तबला कभी भी प से नहीं मिलाया जायेगा। जिन रागों में पंचम प्रयोग होता है उसके साथ तबले को पंचम से मिलाएंगे। जिन रागों में शुद्ध म और प दोनों स्वर वर्ज्य है, तो दाहिने तबले को सा से मिलाया जायेगा। म और प के लिये कुछ बंधन अवश्य है किन्तु सा के लिए कोई बंधन नहीं है।
- प्रत्येक राग के साथ तबले को सा से मिलाया जा सकता है। बडे मुह का तबला नींचे स्वर से और छोटे मुह का तबला ऊचे स्वर से सरलता से मिल जाता है।
Indian classical music theory in hindi..
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