Description of Indian Kathakali Dance and types of dance in hindi is described in this post . Learn indian classical dance in simple steps.
कथकलि / Kathakali
कथकलि मलाबार दक्षिण भारत का एक प्राचीन रोमांचकारी शास्त्रीय नृत्य है। इस नृत्य की वेश भूषा ही इसकी विशेषता है। भारत के सभी प्रदेशों मे यह नत्य प्रचलित है, किन्तु केरल प्रदेश मे इसका अधिक प्रचार है। इसमे संगीत ,कला तथा अभिनय का सुन्दर संयोग है, इसलिये एक साधारण कथकलि मण्डली मे 20-22 व्यक्ति रहते हैं मंडली मे कुछ गायक, कुछ वादक, कुछ नर्तक और कुछ सजाने वाले होते है। इस नृत्य मे रामायण,महाभारत तथा किसी पौराणिक कथा का चित्रण किया जाता है। अभिनेता स्वयं कुछ नही बोलता। जिस पात्र का सम्वाद होता है, वह रंगमंच पर आकर कथा के अनुसार अभिनय करता है और पीछे से संगीतमय कविताओं के द्वारा उनके भावों को स्पष्ट किया जाता है। संगीत के लिए मृदंग, रुद्र वीणाऔर वन्शी का प्रयोग किया जाता है। अभिनेता पैरों मे घुँघरू बांधता स्त्री का अभिनय भी अधिकतर पुरूष ही करते हैं। इस नृत्य की दूसरी विशेषता यह है कि इसमें नवों रसों का उपयोग होता है , जबकि भारत की अन्य नृत्य शैलियों मे श्रृंगार रस की अधिकता होती है। और अन्य रस गौण रहते हैं । कथकलि मे भारतीय नृत्य की बहुत सी विशेषताएं मौजूद हैं, जैसे हस्तक, मुद्रा अंगहार कुण्डल आदि।
कथकलि नृत्य का वर्णन
सर्वप्रथम पर्दे के पीछे से ईश्वर की प्रार्थना की जाती है और कथा नायकों का परिचय दिया जाता है। तत्पश्चात उसी ताल मे मृदंग बजती है और फिर सभी वादक मिलकर बजाते हैं साथ ही अभिनेता या अभिनेत्री धीरे-धीरे रंगमंच पर आते है और पात्र के अनुरूप आंगिक मुद्राओं द्वारा भाव प्रकट करते हैं। फिर कथा प्रसंग के अनुसार उसके रस, भाव, मुद्राएं आदि बदलती रहती हैं इस तरह नाटक की सारी बातें अभिनेता मुख से न बोलते हुए अपने आगिंक मुद्राओं एवं भावों द्वारा दर्शकों के सम्मुख स्पष्ट करता है। पीछे से उसके भावों को कविता मे गाये जाने के कारण स्रोताओं को सुनने मे बड़ी सुविधा होती है। लय और ताल मे ही नाट्य और नृत्य का सारा कार्यक्रम होता है। कथा के छंद भिन्न भिन्न तालों मे बन्धे रहते हैं।
Kathakali dance dress / वेश-भूषा
कथकलि नर्तकों की वेश -भूषा भी अपने ढंग की निराली होती है। शरीर पर एक चुस्त जाकेट और एक विचित्र प्रकार का रंग- बिरंगा घाघरा पहनते हैं। बालों को बहुत ही सुन्दर ढंग से सजाया जाता है। नर्तक के अभिनय के अनुसार ही उसका श्रृंगार होता है। वेश-भूषा मे मुँह क श्रृंगार विशेष ढंग से होता है। चहरे को लाल ,पीला , सफेद पाउडर व बिन्दीसे सजाकर, भौहों पर काला रंग ,आँखो मे काजल व होठों मे सुर्खी लगायी जाती है। पात्र के अनुसार मस्तक पर तिलक और सिर पर गोल मुकुट लगाया जाता है ।
कभी-कभी इस नृत्य मे एक लम्बा चोगा भी पहना जाता है । जिसका घेरा चौड़ा तथा बाहें फैली रहती हैं। उपर से एक चादर भी ओढ़ लेते हैं। कुंडल, लकड़ी की चुड़ी, कवच, मुकुट, हार, नुपुर, फूल माला आदि से श्रृंगार करते हैं। सजावट और श्रृंगार पात्र और अभिनय के अनुसार होता है । राम, रावण ,कृष्ण, शिव,पार्वती आदि का श्रृंगार भी उन्ही के भूमिका के अनुसार होता है।
Click here for Raag parichay of all raags in Indian Classical music..
Description of Indian Kathakali Dance and types of dance in hindi is described in this post .. Saraswati sangeet sadhana provides complete Indian classical music theory in easy method ..Click here For english information of this post ..
Some posts you may like this…