swar in music in hindi

Swar In Music In Hindi Shudha Swar Vikrit Swar Chal Swars Achal Swars

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Swar in Music in Hindi –

Swar / स्वर

बाईस श्रुतियों में से मुख्य बारह श्रुतियों को स्वर कहते हैं । ये स्वर सप्तक के अंतर्गत थोड़ी – थोड़ी दूर पर फैले हुये हैं । इन स्वरों के नाम हैं – षडज , ऋशभ ,गंधार , मध्यम , पंचम , धैवत और निषाद । व्यवहार की सरलता के लिए इन्हे क्रमश – सा रे ग म प ध और नि कहा जाता है ।

7 Swar in Music in Hindi

स्वरों के नाम –

सा – षडज

रे – ऋशभ

ग – गंधार

म – मध्यम

प – पंचम

ध – धैवत

नि – निषाद

स्वरों की संख्या –

मुख्य रूप से स्वरों की संख्या 7 मानी गयी है पर शुद्ध स्वर के अतिरिक्त 5 विकृत स्वर भी हैं । सब मिला कर स्वरों की संख्या 12 मानी गयी है । सप्तक सा से नि तक 12 स्वरों को एक सप्तक कहते हैं ।

स्वरों के प्रकार –

  • शुद्ध स्वर
  • विकृत स्वर

Shudha swar / शुद्ध स्वर  की परिभाषा

बारह स्वरों में से सात मुख्य स्वरों को शुद्ध स्वर कहते हैं । दूसरे शब्दो में जब स्वर अपने निश्चित स्थान पर रहते हैं । तो शुद्ध स्वर कहलते हैं । इनकी संख्या 7 मनी गयी है । इनके संक्षिप्त नाम हैं – सा , रे , ग , म , प , ध , और नि ।

Vikrit swar / विकृत स्वर

विकृत स्वर – जो स्वर अपने निश्चित स्थान से थोड़ा उतर जाते हैं अथवा चड़ जाते हैं , वे विकृत स्वर कहलते हैं ।

विकृत स्वर के भी दो प्रकार हैं ।

  • कोमल स्वर
  • तीव्र स्वर

Komal Swar in Music / कोमल स्वर

जब कोई स्वर अपनी निश्चित स्थान से नीचा होता है तो उसे कोमल कहते हैं । जैसे – रे , , , नि । पंडित विष्णु दिगंबर स्वर लिपि पद्धति के अनुसार , कोमल स्वरों को लिखने के लिए उस स्वर के नीचे एक रेखा खेची जाती है यह दिखाता है की ये स्वर कोमल स्वर है

Teevra Swar in Music / तीव्र स्वर

तीव्र – जब कोई स्वर अपनी निश्चित स्थान से ऊपर होता है तो उसे तीव्र स्वर कहते हैं । जैसे – म॑ पंडित विष्णु दिगंबर स्वर लिपि पद्धति के अनुसार , तीव्र स्वर को लिखने के लिए उस स्वर के उपर एक रेखा खेची जाती है यह दिखाता है की ये स्वर तीव्र स्वर है

स्वरों को एक और द्रष्टिकोण से विभाजित किया गया है –

  • चल स्वर
  • अचल स्वर

Chal swars in Music / चल स्वर की परिभाषा

जो स्वर शुद्ध होने के साथ-साथ विकृत (कोमल और तीव्र ) भी हटे हैं । जैसे – रे , ग म , ध और नि वे चल स्वर कहलाते हैं ।

Achal Swar in Music / अचल स्वर

अचल स्वर – जो स्वर सदैव शुद्ध होते हैं , विकृत कभी नहीं होते अचल स्वर कहलाते हैं , क्योंकि ये अपने स्थान पर अडिग रहते हैं । न तो ये कोमल होते हैं और न तीव्र होते हैं । ये सदैव शुद्ध रहते हैं । जैसे – सा , प

Shruti in Music in Hindi /श्रुति की परिभाषा  –

वह नाद जिसे हम स्पष्ट रूप से सुन सकें , समझ सकें तथा किन्ही दो नादों के बीच का अन्तर बता सकें ,श्रुति कहलता हैं । हमारे शस्त्रकारों ने ठीक ही कहा है । श्रुयते इति श्रुति: अर्थात श्रुति वह है जिसे हम सुन सकें । सुनने का तात्पर्य केवल सुनना ही नहीं बल्कि सुनकर समझ लेना भी है ।

संगीत में कितने स्वर होते हैं?

भारतीय संगीत में मुख्य रूप से स्वरों की संख्या 7 मनी गयी है पर शुद्ध स्वर के अतिरिक्त 5 विकृत स्वर भी हैं । सब मिला कर स्वरों की संख्या 12 मनी गयी है । सप्तक सा से नि तक 12 स्वरों को एक सप्तक कहते हैं । स्वरों के नाम –
सा – षडज
रे – ऋशभ
ग – गंधार
म – मध्यम
प – पंचम
ध – धैवत
नि – निषाद

शुद्ध स्वर कितने होते हैं ?

शुद्ध स्वर 7 होते हैं बारह स्वरों में से सात मुख्य स्वरों को शुद्ध स्वर कहते हैं । दूसरे शब्दो में जब स्वर अपने निश्चित स्थान पर रहते हैं । तो शुद्ध स्वर कहलते हैं । इनकी संख्या 7 मनी गयी है । इनके संक्षिप्त नाम हैं – सा , रे , ग , म , प , ध , और नि ।

विकृत स्वर किसे कहते हैं ?

विकृत स्वर – जो स्वर अपने निश्चित स्थान से थोड़ा उतर जाते हैं अठुवा चड़ जाते हैं , वे विकृत स्वर कहलाते हैं ।
विकृत स्वर के भी दो प्रकार हैं ।
कोमल स्वर
तीव्र स्वर

विकृत स्वर की संख्या कितनी होती है ?

विकृत स्वर 5 होते हैं 4 कोमल स्वर रे , ग ध , नि और 1 तीव्र स्वर म ।

चल स्वर क्या है चल स्वर कितने होते हैं ?

जो स्वर शुद्ध होने के साथ-साथ विकृत (कोमल और तीव्र ) भी हटे हैं । जैसे – रे , ग म , ध और नि वे चल स्वर कहलाते हैं । चल स्वर 5 होते हैं रे ग ध नि म ।

अचल स्वर क्या है अचल स्वर कितने होते हैं अचल स्वर कौन से होते हैं ?

अचल स्वर – जो स्वर सदैव शुद्ध होते हैं , विकृत कभी नहीं होते अचल स्वर कहलाते हैं , क्योंकि ये अपने स्थान पर अडिग रहते हैं । न तो ये कोमल होते हैं और न तीव्र होते हैं । ये सदैव शुद्ध रहते हैं । जैसे – सा , प । अचल स्वर की संख्या 2 हैं ।

संगीत में 7 स्वरों के नाम क्या हैं ?

स्वरों के नाम –
सा – षडज
रे – ऋशभ
ग – गंधार
म – मध्यम
प – पंचम
ध – धैवत
नि – निषाद

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