defination of geet & geet ke prakar

Geet & Types of Geet in indian classical music in hindi

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गीत और उसके प्रकार

स्वर और लय ताल बद्ध शब्दों को गीत कहते है।जिन शब्दों से हम अपने भावो को प्रकट करते हैं। 

शब्द चाहे सार्थक हो अथवा निर्रथक जैसे नोम, तनन आदि।

आधुनिक काल में गीतों के कई प्रकार प्रचलित है,

जैसे-

ध्रुपद

धमार

ख्याल

ठुमरी

टप्पा

तराना

चतुरंग

लक्षणगीत

भजन

कव्वाली

दादरा

सरगम

स्वर मलिका

          गीत और उसके प्रकार

  • स्वर और लय ताल बद्ध शब्दों को गीत कहते है। शब्द चाहे सार्थक हो अथवा निर्रथक जैसे नोम, तनन आदि। आधुनिक काल में गीतों के कई प्रकार प्रचलित है,जैसे- ध्रुपद,धमार,ख्याल, ठुमरी,टप्पा, तराना, चतुरंग, लक्षणगीत, भजन, कव्वाली, दादरा, सरगम अथवा स्वर मलिका आदि। नींचे इनका विवरण दिया जा रहा है-

 होली यह गीत का वह प्रकार है जो ठुमरी के ढंग पर दीपचन्दी ताल में  अधिकतर काफी राग में गाई जाती हैं। इसमें कृष्ण से सम्बंधित होली का वर्णन मिलता है।

  • इसमे मींड, खटका,कण,मुर्की आदि का विशेष प्रयोग होता है जो मधुर लगते है।
  • होली मौसमी गीत है । इसे फाल्गुन के महिने में गाते हैं। ठुमरी के समान इसमें भी अतंरे में दीपचन्दी से कहरवा ताल में आ जाते है। आगे काफी राग में होली का एक उदाहरण देखिये-

मोहन के संग खेलूंगी होरी।

अबीर गुलाल मलूँगी मुख पर,

रंग छिरकूँगी केसर को री,

अपने श्याम को गरवा लगाऊँ,

ताप बुझाऊँ अब मन को री।

भजन और गीतजिन गीतों में ईश्वर वंदना अथवा ईश्वर गुणगान होता हैं भजन कहलाते हैं और जो कविताएं ताल और लय में बाँध दी जाती हैं गीत कहलाती हैं। इन दोनों की विशेषता यह है कि भजन में राग का बंधन कम और गीत में बिल्कुल नहीं होता। दोनों में शब्दों के भाव पर विशेष ध्यान दिया जाता है।

  • ख्याल के समान इसमें आलाप तान नहीं होते,बल्कि भाव के लिए अगर कहीं तान आलाप की आवश्यकता होती है तो उसका थोड़ा रूप दिखा दिया जाता है।
  • ये अधिकतर दादरा, कहरवा, तीनताल और कभी कभी रूपक और झपताल में भी होते है।
  • इसमें मींड, कण ,खटका आदि का बहुत महत्व रहता है।भजन साधारणतया पीलू,खमाज, भैरवी,काफी, देश,मांड, आदि चपल रागों में गाये जाते है।
  • जैसा कि हम ऊपर बता चुके है कि गीत के लिये रागों का कोई बंधन नहीं होता, बल्कि उसकी रचना शब्दों के भावानुकूल की जाती हैं।
  • अधिकांशतः भजन की रचनाएं राग में नही होती। सूर,तुलसी,मीरा, कबीर आदि भक्तों ने अनेक भजनों की रचना की।
  • लगभग संगीत के प्रत्येक कार्यक्रम में भजन सुनने को मिल जाता है।

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