Biography ( Lifesketch ) of Shreeniwas Musician-Jivni in Hindi is described in this post of Saraswati sangeet sadhana .
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Shreeniwas Musician-Jivni
श्रीनिवास की जीविनी
- ‘राग तत्व विबोध’ के लेखक श्रीनिवास है जिसे उसने सत्रहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में लिखा। सन् 1650 में पंडित अहोबल ने संगीत परिजात नामक ग्रन्थ में वीणा के खुले तार पर बारह स्वरों की स्थापना की और प्रत्येक स्वर के तार की लम्बाई निकाली, किन्तु उनका वर्णन कई स्थलों पर अस्पष्ट था। श्रीनिवास ने अहोबल के मत की पुष्टि की और अपने इस छोटे से ग्रन्थ में उनके अस्पष्ट स्थलों को स्पष्ट किया। इसलिये जब कभी वीणा के तार पर स्वरों की स्थापना की बात आती हैं तो श्रीनिवास का नाम सामने आता है। श्रीनिवास और अहोबल के पूर्व किन्हीं भी दो श्रुतियों की दूरी श्रुतियों द्वारा आंकी जाती थी, किन्तु श्रीनिवास के सत्प्रयत्नो से वैज्ञानिक आधार पर तार की लम्बाई मानी जाने लगी।
- इस ग्रन्थ की रचना कब हुई, यह अज्ञात है, किन्तु पुस्तक को देखने से यह स्पष्ट है का इसकी रचना संगीत परिजात के बाद हुई। इसके आठ अध्याय है। पहले अध्याय में ईश- वंदना, दूसरे में श्रुति-विवेचन, तीसरे में शुद्ध,विकृत और संवादी स्वरों का वर्णन, चौथे अध्याय में ग्राम मूर्छना, पांचवें में गमक, छठवें मे मेल, सातवें में 101 रागो का वर्णन और आठवें अध्याय में श्रुति निर्णय है।
- श्रीनिवास के विषय में अधिक जानकारी प्राप्त नही होती हैं। उनका जन्म नरपतिपुर के आस-पास माना जाता है। उन्हें संगीत की पुस्तकों से इतना लगाव था कि उन्हें चुराकर भी संग्रह करते थे। इस प्रकार उन्होंने संगीत पुस्तकों को एक अच्छा संग्रह बना लिया था, किन्तु दुर्भाग्यवश उसमें आग लग गई और उनका सम्पूर्ण साहित्य नष्ट हो गया। इससे वे अत्यन्त दुखी हुये, किन्तु उसे चोरी का प्रायश्चित समझकर सन्तोष कर लिया।
Biography of Shreeniwas Musician-Jivni in Hindi is described in this post of Saraswati Sangeet Sadhana..
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