Biography of Musicain Bharat-Jivni in Hindi

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Biography of Bharat-Jivni in Hindi is described in this post of Saraswati sangeet sadhana .

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Bharat-Jivni

 

            भरत 

  • संगीत के इतिहास में कई भरत हो चुके है,किन्तु यहां हमारा तात्पर्य ‘नाट्य शास्त्र’ के अमर लेखक भरत से है।खेद है कि उनके विषय में कोई जानकारी नहीं मिलती, केवल उनके ग्रन्थ को ही अवलोकन करके ही उनके व्यक्तित्व की जानकारी की जा सकती है।
  • ‘नाट्य शास्त्र’ के रचना काल के विषय में भी विद्वानो के कई मत है,लेकिन सभी ने इसे पांचवीं शताब्दी के आस पास का ग्रन्थ माना है। कुछ ने रचना काल चौथी शताब्दी,कुछ ने पांचवीं शताब्दी और कुछ विद्वानो ने छठी शताब्दी माना है।

 

  • भरत का जन्म समय,माता पिता आदि का नाम अज्ञात है,केवल उनके पुत्र ‘कोहल’ का नाम मिलता है।
  • वस्तुतः ‘नाट्य शास्त्र’ संगीत का ग्रन्थ नहीं है,किन्तु इसके छ: अध्यायो में संगीत शास्त्र पर विवेचन किया गया है। यह इस बात का प्रमाण है कि उस समय संगीत और नाट्य का घनिष्ठ संबंध था।
  • भरत द्वारा वर्णित ‘सारणां चतुष्टयी’ पर दृष्टि डालने से यह भी स्पष्ट है कि उसे स्वर का सच्चा ज्ञान था। संगीत की दृष्टि से यह सर्वप्रथम ग्रन्थ है जिसमें संगीत शास्त्र का वैज्ञानिक और सार्वभौम विवेचन प्राप्त होता है।
  • भरत के बाद लगभग सभी विद्वानो ने भरत का अनुसरण किया है। भरत के द्वारा बताई गई संगीत शास्त्र की बातें आज भी मानी जाती है।
  • भरत ने सात शुद्ध स्वरों के अतिरिक्त 2ही विकृत स्वर मानें थे- अन्तर गंधार और काकल निषाद। आगे चकर धीरे-धीरे एक सप्तक में बारह स्वर माने जाने लगे।
  • भरत कृत नाट्य – शास्त्र को उत्तरी और दक्षिणी दोनों संगीत पद्धतियों का आधार ग्रन्थ माना जाता है।

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