Bhav Sangeet Visharad Part 1 Syllabus In Hindi
भाव संगीत
परीक्षा के अंक
पूर्णाक : १५०
शास्त्र – ५०
क्रियात्मक – १००
शास्त्र
- परिभाषा – सांधिप्रकाश राग, मींड, गमक, न्यास स्वर, नायक,नायकी, गायक, गायकी ।
- गीत प्रकारों का संक्षिप्त परिचय-जन संगीत, समूह गीत, चैती,’भावई, चटका, गम्भीरा, झुमुर, अपने प्रादेशिक गीतों में विभिन्नता और कव्वाली गायन ।
- वाद्यों का परिचय – मंजीरा, परवावज, श्रीखोल और ढोलक ।
- भजन और गीत में वृन्द वादन का स्थान।
- भाव संगीत में भाव प्रदर्शन का योगदान।
- मानव जीवन में संगीत का योगदान ।
- संगीत में ताल और लय का महत्व।
- पाठ्यक्रम के रागों का पूर्ण परिचय जानना आवश्यक।
- लिखित स्वर समूह देखकर राग पहचान की क्षमता।
- निर्धारित ताल समूहों के ठेकों के बोल विभिन्न लयकारियों में लिखने का अभ्यास।
- जीवनी – ब्रह्मानन्द, गुरू नानक देव, चण्डीदास, कबीर, तुलसीदास जयदेव और विद्यापति।
क्रियात्मक
- निम्नलिखित राग समूह में छोटा ख्याल जानना अनिवार्य है- पूर्वी, केदार, कामोद, आसावरी, कल्याण, तोड़ी, बागेश्री, बिहाग और जौनपुरी रागों में द्रुत ख्याल ।
- निम्नलिखित गीत समूह गाने का अभ्यास-
(क)बंग भाषा भाषियों के लिए- चण्डीदास पदावली (एक), तुलसीदास भजन (एक), सूरदास भजन (एक), कबीर भजन (एक), राम प्रसादी (एक), गजल (एक), अतुल प्रसाद (एक), नज़रूल गजल (एक), राग प्रधान (चार) मालकौस, पटदीप, बागेश्री तथा भीम पलासी में होना आवश्यक ।
(ख) अन्य भाषा भाषियों के लिए -तुलसी दास भजन (एक), गज़ल (एक), सूरदास भजन (एक), कबीर भजन(एक), गीत (एक), होरी (एक), अपने प्रदेश का लोक गीत (एक), रागाश्रित गीत (चार) (मालकौसं, पटदीप, बागेश्री तथा भीमपलासी राग में होना आवश्यक ) ।
- एक धुपद (ठाह और दुगुन लयकारी में) एक टप्पा तथा एक ठुमरी (भैरवी अथवा खमाज राग में होना आवश्यक ) ।
- सूलफाक, जत, अद्धा, खेमटा और पंजाबी ताल का ज्ञान एवं उपर्युक्त ताल समूह के ठेकों के बोल हाथ पर ताली खाली दिखलाकर बोलने का अभ्यास।
- तानपुरे पर गाने का अभ्यास अनिवार्य ।
- टिप्पणी – पूर्व वर्षो का पाठ्यक्रम संयुक्त रहेगा।