Vocal & Instrumental music syllabus of Light music (Bhav sangeet) syllabus of Bhushan Final (3rd Year) in Hindi Pracheen kala kendra is described in this post of Saraswati sangeet sadhana .
Learn indian classical music in simle steps..
संगीत भूषण पूर्ण
Sangeet Bhushan Final (3rd Year)
भाव संगीत(Bhav Sangeet)
गायन और तंत्रवाद्य(Vocal& Instrumental)
पूर्णाक–१५० शास्त्र– ५०,क्रियात्मक–१००
शास्त्र(Theory)
- परिभाषा– भारतीय संगीत की दो मुख्य पद्धतियां,तान,सप्तक(मन्द, मध्य और तार),कण,स्पर्श स्वर,वक्र स्वर, जन्यराग,थाट, पूर्वाग राग,उत्तरांग राग और आश्रय राग।
- संक्षिप्त परिचय-मार्ग संगीत, शास्त्रीय संगीत,देशी संगीत,धुन, धमार,गीत और गजल।
- वाद्य का परिचय-तानपुरा, एकतारा और दो तारा।
- कीर्तन,बाउल,लोक गीत और भजन के उपर विभिन्न रचना।
- सुगम संगीत विशेषता और प्रभाव।
- निर्धारित राग का समूह का पूर्ण परिचय जानना आवश्यक है।
- निर्धारित ताल समूह के ठेकों के बोल ठाह,दुगुन और चौगुन लयकारियों में लिखने का अभ्यास।
- लिखित स्वर समूह को देखकर राग पहचानने की क्षमता।
- जीवनी-मीराबाई,सूरदास, श्री चेतन्य और राम प्रसाद,श्री रविन्द्र नाथ टैगोर।
क्रियात्मक( Practical)
- निम्नलिखित राग समूह में छोटा ख्याल जानना आवश्यक है-देश, बागेश्री, बिहाग, भैरवी, आसावरी,पीलू और वृन्दावनी सारांग।
- निम्नलिखित गीत गाने का अभ्यास-
- बंग भाषा भाषी के लिये-कीर्तन(एक),भटियाली (दो),मीरा भजन(दो), ब्रह्मानंद का भजन (एक),दिजेन्द्र गीत(एक),रिजनल भजन(एक),नज़रूल गीत(एक),राग प्रधान गीत(तीन), काफी खमाज तथा भैरवी में होने आवश्यक है।
- अन्य भाषा भाषियों के लिये-मीरा भजन (एक),ब्रह्मानंद भजन (एक),प्रादेशिक लोक गीत(एक),सूरदास (एक),कबीर (एक),रागाश्रित गीत(तीन), काफी, खमाज तथा भैरवी में होना आवश्यक है।
- चौताल,एकताल, धमार,खेमटा,तालों का ज्ञानतथा इन ताल समूहों के बोल पर ताली-खाली दिखाकर बोलने का अभ्यास(इन ताल समूहों में बद्ध गीतों की आवश्यकता नहीं)।
- तानपुरे पर गाने का अभ्यास।
टिप्पणी–पूर्व वर्षों का पाठ्यक्रम संयुक्त रहेगा।
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