Bharat Natyam Nritya Visharad Part 1 Syllabus
भरत नाट्यम नृत्य
परीक्षा के अंक
पूर्णाक : १५०
शास्त्र- ५०
क्रियात्मक – १००
शास्त्र
- प्राचीन काल से मध्य युग तक भारतीय नृत्यों इतिहास |
- संगीत तथा नृत्य में तालों की उपयोगिता।
- नव रस का अध्ययन।
- दक्षिण भारतीय संगीत तथा नृत्य पर पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव
- भरत नाटयम् तथा अन्य दक्षिण भारतीय नृत्यों की शैली के विकास का ज्ञान।
- भारतीय नृत्य में नायक तथा नायिका।
- शिव (ताण्डव) नृत्य की कथायें ।
- अभिनय तथा इसके चार भागों का वर्णन।
- दक्षिण भारतीय ताल लिपि पद्धति के अनुसार सीखे गये ताल व बोलों को लिपिबद्ध करने की क्षमता।
- निम्नलिखित नाट्य परम्पराओं पर संक्षिप्त टिप्पणी- नौटंकी, तमाशा, यक्षगान, यात्रा
क्रियात्मक
- वर्णम – चतुत्र जाति त्रिप्ट ताल अथवा चतुस्त्र जाति रूपक ताल के साथ।
- किन्ही तीन प्रदेशों के लोक नृत्य ।
- श्लोकम् राग आसावरी अथवा हंस ध्वनि तिस्त्र जाति त्रिपुट ताल में।
- लास्य तथा ताण्डव जाति में एक एक पदम ।
- देवी-देवता हस्त, जातियां हस्त इत्यादि ।
- कीर्तनम् अथवा पदम का व्यवहारिक ज्ञान।
- जयदेव द्वारा रचित पदम अथवा अष्टपदि का ज्ञान ।
- दक्षिण भारतीय ताललिपि पद्धति के अनुसार सीखे ताल तथा बोल बोलनें की योग्यता ।
- विभिन्न देवी देवताओं जैसे श्री विष्णु तथा लक्ष्मी जी, श्री गणेश, सरस्वती, शिवस्तुति के श्लोक विभिन्न रागों में बद्ध हो जैसे रांग भोपाली, हंस ध्वनी, राग सरस्वती इत्यादि को गाने की क्षमता।
- टिप्पणी- पूर्व वर्षो का पाठयक्रम संयुक्त रहेगा।