Bharat Natyam Nritya Bhaskar Part 1 Syllabus In Hindi Pracheen Kala Kendra

3/5 - (2 votes)

Bharat Natyam Nritya Bhaskar Part 1 Syllabus

भरत नाट्यम नृत्य

परीक्षा के अंक

शास्त्र- २००

प्रथम प्रश्न पत्र – १००

द्वितीय प्रश्न पत्र – १००

क्रियात्मक- १२५

मंच प्रदर्शन- ७५

शास्त्र

प्रथम प्रश्न पत्र
  • रामायण, महाभारत तथा बौद्ध काल के नृत्यों तथा नृत्य नाटिकाओं का विस्तृत ज्ञान
  • भारतीय तथा पश्चिमी नृत्यों का तुलनात्मक अध्ययन तथा भरत नाटयम् पर पश्चिमी नृत्यों का प्रभाव।
  • प्राचीन, मध्यकालीन तथा आधुनिक युगों में विद्यमान भरत नाटयम् का विस्तृत अध्यय
  • प्राचीन, मध्यकालीन तथा आधुनिक नृत्य रचनाओं के सिद्धान्त तथा विशेषतायें।
  • भरत नाटयम् शैली के क्षेत्र में विभिन्न घरानों की उत्पत्ति, विकास तथा विशेषतायें ।
  • भरत नाटय्म शैली से सम्बन्धित पारिभाषिक शब्दों का विस्तृत अध्ययन।
  • प्राचीन तथा आधुनिक नृत्यों के प्रकार शैली से सम्बन्धित विस्तृत तत्त्व।
  • विभिन्न युगों में भरत नाटयम् नृत्य शैली से सम्बन्धित प्राचीन ग्रन्थों का विस्तृत अध्ययन।
  • दक्षिण भारत के लोक नृत्यों का विस्तृत अध्ययन
  • भारतीय संस्कृति तथा लोक नृत्यों से सम्बन्धित निबन्ध लेखन की योग्यता ।
  • वैदिक युग में कला नृत्य के स्थान का विस्तृत अध्ययन।
द्वितीय प्रश्न पत्र
  • प्राचीन, मध्यकालीन तथा आधुनिक युगों में भरत नाटयम् का चरण बद्ध क्रमिक विकास।
  • असंयुक्त तथा संयुक्त हस्त मुद्राओं के प्रयोगो का विस्तृत ज्ञान।
  • एकांकी नृत्य, युगल नृत्य तथा समूह नृत्य तैयार करने के सिद्धान्त।
  • शास्त्रीय, सुगम तथा लोक नृत्यों में लय एवं ताल का प्रयोग |
  • नृत्यों की विभिन्न शैलियों का इतिहास उनकी तुलना तथा विशेषतायें।
  • भारतीय तथा पश्चिमी स्वरलिपि पद्धति का ज्ञान।
  • भरत नाटयम के विकास में भारतीय नरेशों की भूमिका अध्ययन।
  • सामान्य लोगों पर भारतीय लोक नृत्यों के प्रभावों का अध्ययन।
  • घुँघरू की उत्पत्ति तथा विकास एवं नृत्य में इसका महत्व।
  • निम्नलिखित का ज्ञान- श्लोक सहित- कः शिरो-भेद ,खः दृष्टि – भेद,गः ग्रीवा-भेद।
  • निम्नलिखित का ज्ञान-कर्ण, नृत, हस्त, रेचित, पिण्डी बंध, तांडव, ताल, पुष्पपुट तथा कलाक्षेत्र
  • कर्नाटकी ताल पद्धति का विस्तृत अध्ययन, इसके विभिन्न पहलू,कर्नाटकी तथा उत्तरी ताल पद्धति में तुलना, कर्नाटकी ताल पद्धति को लिखने का ज्ञान ।

क्रियात्मक

  • सप्तताल के साथ जति स्वरम् का विभाजन जो तिस्त्र जाति अथवा चतस्त्र जाति में होना चाहिये।
  • दक्षिण भारतीय नृत्यों की अन्य शैलियों जैसे कुचीपुडी अथवा मोहिनी अट्टम का क्रियात्मक ज्ञान
  • दक्षिण भारतीय लोक नृत्य जैसे जानेरी अथवा ओनम
  • भरत नाटयम में ‘माखन चोरी अथवा ‘पूतना वध’ का प्रदर्शन।
  • दक्षिण भारतीय तालों की मात्राओं के विभाजन के अनुसार उत्तर भारतीय तालों के बोलों में बदलना।
  • निम्नलिखित नृत्य शैलियों में से किसी एक के क्रियात्मक प्रदर्शन की योग्यता – मणिपुरी अथवा कत्थक।
  • मध्य भारत तथा उत्तरी भारत के कुछ लोक नृत्यों के प्रदर्शन का ज्ञान।
  • आधुनिक नृत्यों के प्रदर्शन की क्षमता।
  • अंग, प्रत्यंग तथा उनके उपांगो का क्रियात्मक प्रदर्शन।
  • निम्नलिखित किसी एक पद्धति में नृत्य प्रदर्शन- कः उदयशंकर नृत्य, ख: आधुनिक नृत्य शैली
  • करण व अंगहार का उनके समस्त प्रकारों सहित प्रदर्शन की क्षमता
  • निम्नलिखित नृत्य भागों को कुशलता पूर्वक करने का अभ्यास- अल्लारिप्पू, जतिस्वरम्, शब्दम, वर्णम, पदम्, कीर्तनम, तथा श्लोक
  • टिप्पणी- पूर्व वर्षो का पाठयक्रम सयुंक्त रहेगा।

मंच प्रदर्शन

  • परीक्षार्थी ३० मिनट तक मंच पर पाठयक्रम में निर्धारित नृत्य का प्रद

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!
Scroll to Top