Bharat Natyam Nritya Bhaskar Final Syllabus
भरत नाट्यम नृत्य
परीक्षा के अंक
पूर्णाक : ४००
शास्त्र – २००
प्रथम प्रश्न पत्र – १००
द्वितीय प्रश्न पत्र – १००
क्रियात्मक – १२५
मंच प्रदर्शन- ७५
शास्त्र
प्रथम प्रश्न पत्र
- मंच प्रकाश के उदगम तथा विकास का इतिहास तथा मंच प्रकाश का नृत्य से सम्बन्ध। प्राचीन, मध्यकालीन तथा आधुनिक युगों में मश प्रकाश में विभिन्न सुधार तथा परिर्वतन।
- नृत्य, नाटय तथा नृत में तुलना। नाटय का उदगम। मानवीय जीवन के साथ नृत्य, नाटय तथा नृत का सम्बन्ध तथा भरत नाटयम् में इनका महत्त्व।
- लास्य तथा ताण्डव की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि तथा आलोचनात्मक अध्ययन इनके विभिन्न भेद, इनके उपयोग तथा मानवीय जीवन पर इनका प्रभाव, इनकी विशेषताएं तथा भरत नाटयम् से इनका सम्बन्ध।
- नृत्य में पोशाक का स्थान तथा प्रभाव, पोशाक का भाव से सम्बन्ध।
- भरत नाटयम् में प्राचीन, मध्यकालीन तथा आधुनिक युगों में परिर्वतन तथा परिर्वतन के कारण।
- प्राचीन, मध्यकाल तथा आधुनिक युग में प्रयोग की गई रंगभूषा का विस्तृत ज्ञान
- प्राचीन, मध्य तथा आधुनिक युगों में मंच के उद्गम तथा विकास का विस्तृत अध्ययन तथा मंच की आवश्यकता।
- प्राचीन, मध्यकालीन तथा आधुनिक युगों में भरत नाटयम् से सम्बन्धित ग्रन्थों का विस्तृत अध्ययन। इन कालों के विख्यात भरत नाटयम् कलाकारों के जीवन चरित्र का अध्ययन।
- भारतीय शास्त्रीय नृत्य का तुलनात्मक अध्ययन, उनकी उत्पति तथा विशेषताएं।
- भारत के लोक नृत्यों का विस्तृत तुलनात्मक अध्ययन तथा जीवन में उनका महत्व।
- भरत नाटयम् में वाद्य वृन्द का स्थान तथा महत्त्व।
- वाद्य वृन्द यन्त्र का सिद्धान्त।
- घुंघरूओं का उदगम तथा विकास, नृत्य में घुंघरूओं का स्थान, घुंघरूओं से उत्तम प्रभाव लेने के साधन ।
- बैले, ओपेरा, रासलीला, आदि का विस्तृत तथा आलोचनात्मक अध्ययन।
- मिश्र से भारत तक देवदासी परम्परा का ज्ञान।
- भरत नाटयम् के विभिन्न घरानों का विस्तृत आलोचनात्मक अध्ययन।
- भरत नाटयम् नृत्य के प्रसंग में भारतीय नृत्य में प्राचीन तथा ऐतिहासिक परम्पराओं का विस्तृत अध्ययन।
- नृत्य कला से सम्बन्धित विभिन्न विषयों पर निबन्ध लेखन की योग्यता |
- नन्दीकेश्वर द्वारा प्रतिपादित ‘दश अवतार’ अथवा ‘देश गति का ज्ञान
- अंगहार का ज्ञान, इसके विभिन्न प्रकार तथा भरत नाटयम् नृत्य के इसका महत्व।
द्वितीय प्रश्न पत्र
- अभिनय के विभिन्न पहलुओं की परिभाषा। अभिनय का नृत्य से सम्बन्ध।
- नृत्य का चित्रकला, मूर्तिकला तथा अन्य ललित कलाओं से सम्बन्ध।
- भारतीय शास्त्रीय नृत्यों के सम्बन्ध में अजन्ता तथा एलोरा -गुफाओं की चित्रकला तथा मूर्तिकला का अध्ययन।
- रस तथा भाव में सम्बन्ध, मानव जीवन पर इनका प्रभाव।
- पश्चिम के विख्यात नृत्यों का इतिहास, उनकी विशेषतायें तथा उनके निपुण कलाकारों के नाम, उनके जीवन चरित्र । पश्चिमी नृत्यों में वाद्य वृन्द का स्थान। पश्चिमी नृत्यों में भावों के प्रदर्शन, ताल तथा लय का महत्व।
- भरत नाटयम् नृत्य शैली के विभिन्न पहलुओं का आलोचनात्मक अध्ययन।
- भरत नाटयम् में रस तथा भाव का स्थान ।
- भरत नाटयम् में मंच, मंच प्रकाश, वाद्य वृन्द तथा आवश्यकता।
- मणिपुरी नृत्य शैली का विस्तृत अध्ययन।
- मणिपुरी नृत्य शैली की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, रस, भाव, मुद्रा, पोशाक, रंग भूषा, मंच प्रकाश आदि ।
- मणिपुरी तथा भरत नाटयम् नृत्य शैलियों का तुलनात्मक अध्ययना
- कथाकली नृत्य शैली का विस्तृत अध्ययन ऐतिहासिक पृष्ठभूमि,रस, भाव, मुद्रा, मंच प्रकाश, रंग भूषा, वाद्य वृन्द पृष्ठभूमि आदि।
- कथाकली तथा भरत नाटयम् नृत्य शैलियों का तुलनात्मक अध्ययन।
1.आधुनिक नृत्यों के उदगम तथा विकास एवं उनके विभिन्न पहलुओं का अध्ययन।
2.आधुनिक नृत्यों में रस तथा भाव का स्थान ।
3.पार्श्व संगीत का अध्ययन, आधुनिक नृत्यों में इसकी आवश्यकता तथा महत्त्व।
- भारतीय नृत्य में प्रयुक्त होने वाली हस्त मुद्राएं, विभिन्न नृत्यों में इनका प्रयोग, रस तथा भाव के साथ इनका सम्बन्ध।
- चारी की परिभाषा, इसके विभिन्न प्रकार तथा विभिन्न नृत्यों में इनका महत्त्व, रस भाव से सम्बन्ध तथा भरतनाटयम् नृत्य में महत्त्व।
- मण्डल की परिभाषा, विभिन्न नृत्यों में इसके विभिन्न पहलू तथा नृत्य में इसका महत्व और रस-भाव से सम्बन्ध तथा भरत नाट्यम नृत्य में महत्व ।
- नायक तथा नायिका भेद, उनमें अन्तर तथा भरत नाटयम् नृत्य में महत्व।
- नई स्वरलिपि पद्धति का निर्माण करने के सुझाव।
- आधुनिक भारतीय नृत्य में कवि रविन्द्रनाथ ठाकुर तथा उदयशंकर का योगदान।
- आधुनिक नृत्य कला के क्षेत्र में पुनः जागरण आन्दोलन का विस्तृत अध्ययन।
क्रियात्मक
- राग आसावारी अथवा अड़ाना में श्लोकम की रचना ।
- दक्षिण भारतीय कुचीपुडी नृत्य में अलंकरण का ज्ञान तथा उसका ‘अल्लारिप्पू’ से अन्तर
- स्वर, यती तथा जति स्वरम् का पूर्ण ज्ञान तथा इनकी प्रमुख विशेषताएं।
- कर्ण तथा अंगहार का विस्तृत ज्ञान।
- कुचीपुडी नृत्य के कुछ भाग का प्रदर्शन।
- कवि जयदेव रचित कुछ भक्ति गीतों के साथ नृत्य प्रदर्शन।
- मीरा भजन, राधिका अथवा सती की नृत्य रचना पर भरत नाट्यम् नृत्य का प्रदर्शन।
- कृष्ण बेगनी बारो गीत के साथ एक पदम्।
- भरत नाटयम् नृत्य तथा लास्य तथा ताण्डव में मुद्राओं का क्रियात्मक प्रदर्शन।
- अभिनय के विभिन्न भागों का कुशलता से प्रदर्शन।
- नायक तथा नायिका के भेदों का क्रियात्मक प्रदर्शन।
- विभिन्न रसों तथा भावों को प्रदर्शित करने में निपुर्णता ।
- निम्नलिखित में से कोई एक नृत्य शैली प्रदर्शित करने की योग्यता कथाकली अथवा मणिपुरी ।
- विभिन्न राज्यों के लोक नृत्यों के पांच प्रकार प्रदर्शित करने की योग्यता ।
मंच प्रदर्शन –
परीक्षार्थी को ४५ मिनट तक मंच पर नृत्य प्रस्तुत करना होगा।
- टिप्पणी- पूर्व वर्षो का पाठयक्रम संयुक्त रहेगा ।